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कौन हैं दिव्या देशमुख? जिसने चेस विश्व कप में दिया हम्पी को मात, पांच साल की उम्र से खेल रहीं शतरंज

फाइनल में देश की अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को दिव्या देशमुख ने इतिहास रच दिया है। नागपुर में जन्मीं दिव्या ने पांच साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। उन्होंने सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था।
Post Published By: Mrinal Pathak
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कौन हैं दिव्या देशमुख? जिसने चेस विश्व कप में दिया हम्पी को मात, पांच साल की उम्र से खेल रहीं शतरंज

New Delhi: भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने सोमवार को एक ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए महिला शतरंज विश्व कप 2025 का खिताब अपने नाम कर लिया। उन्होंने फाइनल में देश की अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को हराकर यह मुकाम हासिल किया। मुकाबले में हम्पी को वापसी का एक मौका जरूर मिला था, लेकिन वह उसका फायदा नहीं उठा सकीं और दिव्या ने शानदार जीत दर्ज कर ली। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में…

बचपन से शतरंज में रूची

9 दिसंबर 2005 को नागपुर में जन्मीं दिव्या ने सिर्फ 5 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं। पिता का नाम जितेंद्र और मां का नाम नम्रता है। उन्होंने 2012 में अंडर-7 राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतकर अपने करियर की धमाकेदार शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का नाम रोशन किया।

विश्व मंच तक का सफर

दिव्या ने 2014 में डरबन में अंडर-10 विश्व युवा खिताब और 2017 में ब्राजील में अंडर-12 खिताब जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। धीरे-धीरे उन्होंने जूनियर स्तर पर एक से एक कठिन टूर्नामेंट जीतकर खुद को विश्व स्तरीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।

ग्रैंडमास्टर बनने तक का सफर

दिव्या को 2023 में इंटरनेशनल मास्टर (IM) का खिताब मिला और फिर उन्होंने 2024 में अंडर-20 विश्व जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप में 11 में से 10 अंक लेकर खिताब जीता। इस प्रदर्शन ने उन्हें शीर्ष पर पहुंचा दिया। उन्होंने 45वें शतरंज ओलंपियाड में भारत के लिए तीन स्वर्ण पदक भी जीते।

विश्व की नंबर 1 खिलाड़ी को हराया

दिव्या ने फिडे वर्ल्ड ब्लिट्ज टीम शतरंज चैंपियनशिप 2024 में चीन की होउ यिफान, जो दुनिया की नंबर एक महिला खिलाड़ी हैं, को हराकर सनसनी मचा दी थी। यह जीत लंदन में हुए सेमीफाइनल मुकाबले में आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी इस उपलब्धि की सराहना की थी।

चेन्नई के गुरुकुल में हुई ट्रेनिंग

दिव्या ने चेन्नई के शतरंज गुरुकुल में ग्रैंडमास्टर आरबी रमेश के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। उन्हें उनकी तेज रणनीति, गहरी सोच और अद्वितीय रचनात्मकता के लिए जाना जाता है। उनकी यही विशेषताएं उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती हैं।

अब कैंडिडेट्स टूर्नामेंट की बारी

दिव्या ने अपनी इस ऐतिहासिक जीत के साथ कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लिया है, जहां विजेता को विश्व चैंपियन से खेलने का मौका मिलेगा। महिला विश्व कप की शीर्ष तीन खिलाड़ी कैंडिडेट्स के लिए चयनित होती हैं, और दिव्या अब इस दौड़ में सबसे आगे हैं।

 

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