

पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने लॉर्ड्स टेस्ट में रवींद्र जडेजा की साहसी पारी की सराहना की लेकिन उनके कुछ फैसलों पर सवाल भी उठाए। कुंबले का मानना है कि भारत के जीत से चूकने का एक कारण जडेजा का शोएब बशीर के खिलाफ आक्रामक रुख न अपनाना था।
पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले (सोर्स-गूगल)
New Delhi: लॉर्ड्स टेस्ट में भारत की 22 रन से हार के बाद, पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने रवींद्र जडेजा की बल्लेबाज़ी की सराहना करते हुए उन्हें कुछ रणनीतिक सुझाव भी दिए हैं। कुंबले का मानना है कि जडेजा को इंग्लैंड के स्पिनर शोएब बशीर के खिलाफ अधिक आक्रामकता दिखानी चाहिए थी।
भारत को जीत के लिए 193 रनों की जरूरत थी और एक समय टीम 82 रन पर 7 विकेट गंवा चुकी थी। ऐसे में जडेजा ने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ मिलकर स्कोर को 170 रन तक पहुंचाया और नाबाद 61 रन बनाए। हालांकि, अंतिम ओवरों में मोहम्मद सिराज का विकेट गिरने से भारत 22 रन से मैच हार गया।
बुमराह और सिराज की तारीफ
कुंबले ने कहा कि जडेजा ने जिस तरह से बुमराह और सिराज के साथ बल्लेबाजी की, वह काबिल-ए-तारीफ था, लेकिन उन्हें कुछ मौकों पर आक्रामकता दिखानी चाहिए थी। खासकर जब बशीर जैसे गेंदबाज सामने थे, जिनकी गेंदें ज्यादा टर्न नहीं हो रही थीं।
उन्होंने आगे कहा, “जडेजा को गेंदबाजों का चयन कर आक्रामक शॉट खेलने चाहिए थे। क्रिस वोक्स, जो रूट और शोएब बशीर जैसे गेंदबाजों के खिलाफ जोखिम लेना फायदेमंद हो सकता था। सिराज को बशीर का पूरा ओवर खेलने देना रणनीतिक चूक थी।”
जडेजा की साहसी पारी की तारीफ
कुंबले ने हालांकि जडेजा की साहसी पारी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने एक असंभव से लक्ष्य को लगभग संभव कर दिखाया। “जडेजा की यह पारी अद्भुत थी। उन्होंने पूरे समय एक छोर संभालकर भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया,” कुंबले ने कहा।
पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए टेस्ट की याद दिला दी
इस मैच ने कुंबले को 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ चेन्नई में खेले गए टेस्ट की याद दिला दी। उस मैच में भी भारत 12 रन से हार गया था, जबकि सचिन तेंदुलकर ने पीठ दर्द के बावजूद 136 रन की पारी खेली थी। कुंबले ने सिराज का आउट होना उस मैच में जवागल श्रीनाथ के आउट होने से जोड़ा, जिसे स्पिनर सकलैन मुश्ताक ने आउट किया था।