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BCCI पर अब सरकार की नजर! क्या नया स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल बदल देगा पूरा खेल? जानें कैसे करेगा काम

स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर पड़ने वाला है। अब तक भारत में सभी खेल संघ देश के कानूनों का पालन करते रहे हैं, लेकिन बीसीसीआई इससे बाहर रहा है।
Post Published By: Poonam Rajput
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BCCI पर अब सरकार की नजर! क्या नया स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल बदल देगा पूरा खेल? जानें कैसे करेगा काम

New Delhi: आज, 23 जुलाई बुधवार का दिन भारतीय क्रिकेट के लिए अहम दिन होने वाला है। एक तरफ भारतीय टीम इंग्लैंड में आज से ही मेजबान टीम के खिलाफ चौथा टेस्ट मैच खेलने वाली है, जो करो या मरो वाला मुकाबला है। वहीं, दूसरी तरफ लोकतंत्र के मंदिर संसद में सरकार ‘राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक’ पेश कर चुकी है।

स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल का सबसे ज्यादा असर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर पड़ने वाला है। अब तक भारत में सभी खेल संघ देश के कानूनों का पालन करते रहे हैं, लेकिन बीसीसीआई इससे बाहर रहा है। बोर्ड ने खुद को हमेशा से ही एक स्वायत्त संस्था बताकर देश के कानूनों से अलग रखा है। हालांकि, इस बिल के आने के बाद वह ऐसा नहीं कर पाएगा।

BCCI कैसे करेगा यॉर्कर का सामना?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक के कानून बनने के बाद, BCCI को भी अन्य खेल संघों की तरह भारतीय कानूनों का पालन करना होगा। इस विधेयक को लाकर सरकार ने एक तरह से BCCI के सामने यॉर्कर फेंक दी है। ऐसे में अब ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि बोर्ड इसका सामना किस तरह से करती है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि सरकार का किसी भी खेल संघ पर पूर्ण नियंत्रण नहीं होगा।

BCCI और सरकार के बीच क्या है विवाद?

BCCI और सरकार के बीच नियमों, खेल, अधिकारियों और भी बहुत कुछ को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं। मामला तब और बढ़ गया जब वर्ष 2019 में क्रिकेट प्रतियोगिता के दौरान सरकार की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने दखल दिया। बीसीसीआई ने इस पर आपत्ति जताई थी। बीसीसीआई ने हर बार यह कहकर इनकार कर दिया कि बीसीसीआई कोई खेल महासंघ नहीं है।

जानें क्या है राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक?

स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल खेल संघों में सुधार के लिए लाया जा रहा है। खेल मंत्रालय का दावा है कि इस विधेयक के बाद खेल संघों में समय पर चुनाव होंगे, प्रबंधन में सुधार होगा और खिलाड़ियों के लिए और भी बेहतर उपाय किए जा सकेंगे। विधेयक में कहा गया है कि एक राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का गठन किया जाएगा। यह खेलों से जुड़े विवादों से निपटेगा। हालांकि, इसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

राष्ट्रीय खेल बोर्ड कैसा होगा?

विधेयक की मानें तो राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन केंद्र सरकार करेगी। बोर्ड में एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होंगे। सदस्यों की नियुक्ति खोज-सह-चयन समिति की अनुशंसा पर की जाएगी। इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव या खेल सचिव रहेंगे। साथ ही भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के महानिदेशक, दो अनुभवी खेल प्रशासक (जो खेल संघ में अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष रह चुके हों) और एक खिलाड़ी जिसे अर्जुन, खेल रत्न या द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला हो, इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा, बोर्ड को शिकायतों और विसंगतियों के आधार पर खेल संघ को निलंबित करने का भी अधिकार होगा।

ओलंपिक 2028 में भाग लेंगे

जानकारी के लिए बता दें कि क्रिकेट अब ओलंपिक में शामिल हो गया है। क्रिकेट 2028 में लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेलों में भाग लेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक लाने जा रही है। सरकार का दावा है कि इस विधेयक के बाद खेल संघों की मनमानी और विसंगतियों पर लगाम लगेगी।

14 साल पुरानी है कहानी

गौरतलब है कि वर्ष 2011 में राज्यसभा सांसद अजय माकन ने इस खेल विधेयक को पेश किया था। लेकिन खेल संघों और सदस्यों के मतभेद के कारण वह विधेयक पारित नहीं हो सका था। हालांकि, इस मामले में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख ने कहा कि विधेयक को विस्तार से बनाने के लिए पुराने मसौदे का इस्तेमाल किया गया है।

फंडिंग नहीं होगी आसान

कुछ दिन पहले केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक के तहत एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड देश के खेल महासंघों को मान्यता देने और फंडिंग मुहैया कराने का कार्य करेगा। हालांकि, इसके लिए महासंघों को अनुशासन, वित्तीय पारदर्शिता और नैतिक मानकों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।

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