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BCCI ने लॉन्च किया ब्रोंको टेस्ट, जानें खिलाड़ियों के लिए क्यों है ये जरूरी

बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेटरों की फिटनेस को बेहतर बनाने के लिए नया ब्रोंको टेस्ट लागू किया है। यह टेस्ट रग्बी खेल से प्रेरित है और खासतौर पर तेज गेंदबाजों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए लाया गया है। इससे खिलाड़ियों की स्टैमिना और फुर्ती को बढ़ावा मिलेगा, जिससे वे लंबे समय तक थके बिना गेंदबाजी कर सकेंगे।
Post Published By: Mrinal Pathak
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BCCI ने लॉन्च किया ब्रोंको टेस्ट, जानें खिलाड़ियों के लिए क्यों है ये जरूरी

New Delhi: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों की फिटनेस स्तर को बेहतर बनाने के लिए एक नया ब्रोंको टेस्ट लॉन्च किया है। अब तक बीसीसीआई भारतीय क्रिकेटरों की फिटनेस जांच के लिए यो-यो टेस्ट का इस्तेमाल करता था, लेकिन अब इस प्रक्रिया में ब्रोंको टेस्ट को भी शामिल कर लिया गया है। भारतीय टीम के हेल्थ, स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स इस नए टेस्ट को लेकर आए हैं। इस कदम का मकसद खिलाड़ियों की सहनशक्ति बढ़ाना और उनकी फिजिकल फिटनेस को और मजबूती देना है।

ब्रोंको टेस्ट क्या है?

ब्रोंको टेस्ट का संबंध रग्बी खेल से है और यह खिलाड़ियों की फुर्ती और सहनशक्ति को मापने के लिए बनाया गया है। इसमें खिलाड़ी को लगातार दौड़ना होता है सबसे पहले 20 मीटर, फिर 40 मीटर, और अंत में 60 मीटर की दौड़ पूरी करनी होती है। इन तीनों दौड़ों को मिलाकर एक सेट बनता है। खिलाड़ियों को बिना रुके पांच सेट पूरे करने होते हैं, जिसमें कुल 1200 मीटर दौड़ना शामिल होता है। इन सभी सेट्स को 6 मिनट के अंदर पूरा करना होता है, जो इस टेस्ट को बहुत चुनौतीपूर्ण बनाता है।

ब्रोंको टेस्ट की खासियत

यह टेस्ट खास तौर पर तेज गेंदबाजों के लिए लाया गया है। कोचिंग स्टाफ का मानना है कि वर्तमान में खिलाड़ी ज्यादातर समय जिम में व्यतीत कर रहे हैं, जबकि मैदान पर दौड़ने और स्टैमिना बढ़ाने पर ज्यादा फोकस होना चाहिए। तेज गेंदबाजों के लिए यह जरूरी है कि वे बिना थके लंबे समय तक गेंदबाजी कर सकें और अपनी गति बनाए रखें। ब्रोंको टेस्ट की मदद से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गेंदबाज मैदान में फुर्ती और सहनशक्ति के साथ प्रदर्शन कर सकें।

ब्रोंको टेस्ट क्यों जरूरी?

ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के दौरे पर भारतीय तेज गेंदबाजों को लंबे स्पैल गेंदबाजी करनी पड़ी थी, जिससे उन्हें थकान और फिटनेस की समस्याओं का सामना करना पड़ा था। खासकर जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों को यह चुनौती काफी भारी पड़ी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई ने ब्रोंको टेस्ट को फिटनेस के नए मानक के रूप में अपनाया है, ताकि खिलाड़ी बेहतर फिटनेस के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर सकें।

BCCI की नई फिटनेस रणनीति

अब तक बीसीसीआई यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर दौड़ जैसे फिटनेस टेस्ट आयोजित करता था। लेकिन अब ब्रोंको टेस्ट को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है, जिससे खिलाड़ियों के फिटनेस स्तर का और भी बेहतर और व्यापक आकलन किया जा सकेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कुछ खिलाड़ियों ने ब्रोंको टेस्ट दिया है।

एड्रियन ले रॉक्स की भूमिका

ब्रोंको टेस्ट को भारतीय टीम में लाने वाले एड्रियन ले रॉक्स जून 2024 में स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच के तौर पर टीम में शामिल हुए थे। इससे पहले वह जनवरी 2002 से मई 2003 तक इसी भूमिका में काम कर चुके हैं। ले रॉक्स का अनुभव दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम और आईपीएल की कोलकाता नाइट राइडर्स व पंजाब किंग्स जैसी टीमों के साथ काम करने का भी है। उनका यह कदम भारतीय टीम की फिटनेस को नए स्तर पर ले जाने का प्रयास माना जा रहा है।

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