G7 Summit: भारत जी-7 का सदस्य नहीं… फिर भी हर साल पीएम मोदी को क्यों बुलाया जाता है?

जी7 शिखर सम्मेल में भारत का नाम क्यों शामिल नहीं है। चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत का नाम इसमे शामिल क्यों नहीं है? जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 17 June 2025, 7:56 PM IST
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय कनाडा में हो रहे G-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। दुनिया के सबसे विकसित देशों का G-7 वार्षिक जमावड़ा है। भारत भले ही इसका औपचारिक सदस्य नहीं है, लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर PM मोदी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। भारत को इस तरह G-7 में शामिल करना, उसकी बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका का सबूत है।

क्या है G-7 और क्यों है खास?

G-7 (Group of Seven) उन सात विकसित देशों का समूह है जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान शामिल हैं। इस समूह की स्थापना 1970 के दशक में वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर समन्वय के लिए की गई थी। बाद में इसका विस्तार जलवायु परिवर्तन, टेक्नोलॉजी, वैश्विक स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे विषयों तक हो गया।

भारत कैसे पहुंचा इस मंच तक?

भारत को पहली बार 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय G-7 (Group of Seven) सम्मेलन में निमंत्रण मिला था। तब से लेकर अब तक भारत को 10 से अधिक बार विशेष अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। पीएम मोदी 2019 से हर साल इस समिट में भाग ले रहे हैं – चाहे वो फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी या जापान रहा हो।

भारत और चीन को क्यों नहीं दी जाती सदस्यता?

हालांकि भारत और चीन दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं, फिर भी ये G7 के सदस्य नहीं हैं। इसका बड़ा कारण है कि G7 सिर्फ विकसित देशों का मंच है। भारत और चीन की प्रति व्यक्ति आय आज भी इन देशों के मुकाबले बहुत कम है, इसलिए उन्हें अब तक इसमें शामिल नहीं किया गया।

G7 नए सदस्य नहीं जोड़ता, और यही वजह है कि भारत जैसे उभरते सुपरपावर को भी औपचारिक सदस्यता नहीं मिलती। चीन तो खुद G7 पर सवाल उठाता रहा है और इसे 'अप्रासंगिक' और 'सीमित प्रतिनिधित्व वाला समूह' बताता है।

भारत को बुलाया क्यों जाता है?

भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ग्लोबल मंचों पर उसकी भूमिका निर्णायक बन चुकी है। ऐसे में हर साल जब G7 समिट का आयोजन होता है, तो मेजबान देश के पास कुछ खास देशों को आमंत्रित करने का अधिकार होता है। भारत को आउटरीच पार्टनर के रूप में बुलाया जाता है ताकि वैश्विक मुद्दों पर उसकी भागीदारी बनी रहे।

हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन उसका बुलावा इस बात का प्रमाण है कि भारत को वैश्विक मंचों पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आने वाले सालों में भारत की भूमिका और प्रभाव दोनों ही और बढ़ने वाले हैं – और शायद तब G7 को भी अपने नियम बदलने पड़ें।

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