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ज्योतिषाचार्य के हिसाब से इस बार देव दिपावली बहुत की खास होने वाली है क्योंकि इस दिन शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस दिन भद्रा भी लगेगी जिसका प्रभाव पृथ्वी पर नहीं रहेगा। यहां जानें देव दिवाली की पूजा किस मुहूर्त में की जाएगी।
देव दीपावली
Dev Deepawali 2025: सनातन धर्म में देव दीपावली का पर्व बहुत ही खास माना जाता है, जिसको हिंदू धर्म में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। देव दीपावली को देव दिवाली भी कहते है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया, तो देवताओं ने प्रसन्न होकर काशी में दीप जलाकर इस विजय का उत्सव मनाया था। तभी से कार्तिक पूर्णिमा को 'देव दीपावली' के रूप में मनाने की परंपरा आरंभ हुई। इस दिन मंदिरों सहित घरों व घाटों पर दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है।
देव दीपावली, दिवाली के त्योहार के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) में यह पर्व बहुत ही खास तरीके से मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जो कि इस बार 5 नवंबर को मनाई जाएगी।
देव दीपावली के दिन सभी श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके गरीबों को दान-दक्षिणा देते हैं। वहीं, इस दिन शाम के समय सभी गंगा के घाटों पर मां गंगा की आरती की जाती है और दीप जलाकर घाटों को सजाया जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। तो चलिये जानते हैं कि देव दिवाली की पूजा किस मुहूर्त में की जाएगी।
द्रिक पंचांग के अनुसार, देव दीपावली की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 4 नवंबर को रात 10 बजकर 36 मिनट पर होगा, जबकि इसका समापन 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। इस दिन संध्या कालीन गंगा आरती का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 15 मिनट से आरंभ होकर शाम 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार, आरती की कुल अवधि लगभग 2 घंटे 37 मिनट की होगी।
साल 2025 की देव दीपावली पर भद्रा का साया भी रहेगा। हालांकि, यह अशुभ योग केवल सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगा और उस समय भद्रा स्वर्ग लोक में विराजमान होगी। इसलिए, इसका पृथ्वी लोक पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पंचांग के अनुसार, देव दीपावली के दिन शिववास नामक शुभ योग का भी संयोग बन रहा है। इस शुभ योग की शुरुआत शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगी। इस पावन काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी।
देव दीपावली के दिन सभी ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। इसके बाद अपने घर और मंदिर में घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। फिर, भगवान शिव और भगवान विष्णु का पूजन पूरे विधि विधान के साथ करें। वहीं, देव दीपावली की संध्या पर पूरे घर में या घर के प्रमुख स्थानों पर दीपक प्रज्वलित करें। इसके पश्चात श्रद्धा भाव से शिव चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अंत में आरती संपन्न कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।