

असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो ‘I Love Muhammad’ विवाद के बीच वायरल हो रहा है। इसमें वह एक तस्वीर लेने से इनकार करते दिख रहे हैं, जिससे सोशल मीडिया पर भ्रम फैला। हालांकि, ओवैसी ने खुद वीडियो की सच्चाई साझा की है। जिसमें बताया कि अपनी फोटो को गुंबद-ए-खिजरा के बराबर रखने पर आपत्ति जताई थी।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
New Delhi: देश में ‘I Love Muhammad’ को लेकर चल रहे विवाद के बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर चर्चा में हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह ‘I Love Muhammad’ लिखा हुआ एक फ्रेम स्वीकार करने से इनकार करते नजर आ रहे हैं। वीडियो को देखकर कुछ यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि ओवैसी इस बयान से दूरी बना रहे हैं। लेकिन जब पूरी सच्चाई सामने आई, तो मामला पूरी तरह बदल गया।
इस वीडियो को लेकर कई तरह की अफवाहें सोशल मीडिया पर फैलने लगीं। कुछ लोगों ने दावा किया कि ओवैसी को 'I Love Muhammad' जैसे धार्मिक वाक्य से आपत्ति है, जबकि वीडियो में असली आपत्ति कहीं और थी। वास्तविकता यह है कि ओवैसी ने उस तस्वीर में खुद की फोटो को गुंबद-ए-खिजरा के बराबर में देखने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने इसे धार्मिक असम्मान मानते हुए फ्रेम को स्वीकार करने से इनकार किया। वायरल हो रहे वीडियो में ओवैसी कहते दिख रहे हैं, "कहां गुंबद-ए-खिजरा और कहां मैं? मेरी फोटो क्यों डाली आपने? ऐसा नहीं करना भाई।"
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
इस वायरल वीडियो की सच्चाई सामने लाने का श्रेय सोशल मीडिया यूज़र फुजैल फारूक को जाता है। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर ओवैसी का वह वीडियो साझा करते हुए पूरे प्रसंग को विस्तार से समझाया। फुजैल ने लिखा कि ओवैसी ने वह फ्रेम पूरे आदर के साथ हाथ में लिया था, लेकिन जब उन्होंने उसमें गुंबद-ए-खिजरा के साथ अपनी तस्वीर देखी, तो उन्होंने तुरंत उसे वापस कर दिया।
फुजैल ने लिखा, "यही होती है सच्चे मुसलमान की पहचान जो गुंबद-ए-खिजरा और अपने नबी के नाम के बराबर में अपनी फोटो को देखना भी गुनाह समझता है।" उन्होंने लोगों से अपील की कि गलत प्रचार न फैलाएं और सच्चाई को सामने लाएं।
गुंबद-ए-खिजरा मदीना मुनव्वरा में स्थित मस्जिद-ए-नबवी के पास बना हरा गुंबद है, जो इस्लाम में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह गुंबद पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) और दो खलीफा अबू बक्र और उमर की कब्रों के ऊपर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, इस गुंबद को पहली बार 1837 में हरे रंग से रंगा गया था। ओवैसी के अनुसार, इस पवित्र स्थान के पास अपनी तस्वीर को लगाना उनकी धार्मिक भावना के खिलाफ है। उन्होंने इसे "गुनाह" करार दिया।
यह पूरा विवाद 4 सितंबर को उत्तर प्रदेश के कानपुर में बर्फात जुलूस के दौरान शुरू हुआ। इस जुलूस में ‘I Love Muhammad’ के बड़े-बड़े बैनर लगाए गए थे। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे एक नई और विवादास्पद परंपरा बताते हुए इसका विरोध किया।
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विवाद के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने एक बयान जारी कर साफ कहा कि "I Love Muhammad" कहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर कोई मुसलमान है, तो वह मोहम्मद की वजह से मुसलमान है। इससे आगे और पीछे कुछ भी नहीं। वो बोले जन्नत है तो मैं बोला है, वो बोले जहन्नुम है तो मैं बोला है।"