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एक्शन मोड में चुनाव आयोग: पश्चिम बंगाल में 1,000 BLO को कारण बताओ नोटिस, जानें पूरा मामला

पश्चिम बंगाल में चुनाव संबंधी निर्देशों का पालन न करने के आरोप में 1,000 BLO को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। यह कार्रवाई निर्वाचन आयोग के आदेशों के तहत की गई और 3 दिनों के भीतर अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
Post Published By: Asmita Patel
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एक्शन मोड में चुनाव आयोग: पश्चिम बंगाल में 1,000 BLO को कारण बताओ नोटिस, जानें पूरा मामला

New Delhi: पश्चिम बंगाल में चुनावी प्रक्रिया से जुड़े महत्वपूर्ण निर्देशों का पालन न करने के आरोप में लगभग 1,000 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। यह कदम भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन करने के चलते उठाया गया है। चुनावी पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) द्वारा बार-बार चेतावनियों के बावजूद इन अधिकारियों ने अपनी जानकारी ईआरओ-नेट पोर्टल पर अपडेट नहीं की थी, जिस कारण यह कार्रवाई की गई है।

बीएलओ के कर्तव्यों की गंभीर उपेक्षा

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इन 1,000 बीएलओ के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए यह बताया गया है कि इनकी लापरवाही और कर्तव्य की उपेक्षा जानबूझकर की गई है। यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 का उल्लंघन है, जो सभी चुनावी अधिकारियों को चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन करने का आदेश देती है। भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के नियमों के तहत, बीएलओ चुनावी कामकाज के दौरान आयोग के नियंत्रण में होते हैं और उनके आदेशों का पालन करना अनिवार्य है।

एक्शन मोड में चुनाव आयोग

नोटिस में उल्लिखित आदेश

नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि इन बीएलओ अधिकारियों ने चुनावी पंजीकरण प्रक्रिया में जरूरी जानकारी पोर्टल पर दर्ज नहीं की, जिसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। ईआरओ द्वारा बार-बार अपील के बावजूद इन अधिकारियों ने चुनावी कामकाज में लापरवाही बरती। नोटिस में कहा गया है कि ऐसा करना सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सरकार के आदेशों की अवहेलना भी है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

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स्पष्टीकरण देने के लिए तीन दिन की समयसीमा

इन सभी अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। स्पष्टीकरण में उन्हें यह बताना होगा कि चुनाव आयोग के आदेशों की अवहेलना के लिए उन पर अनुशासनात्मक या दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। यदि निर्धारित समय सीमा में जवाब नहीं दिया जाता, तो इसे अधिकारियों द्वारा कोई वैध कारण न होने के रूप में लिया जाएगा और फिर विभागीय नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव आयोग के नियंत्रण में हैं बीएलओ

नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बीएलओ भारतीय निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में होते हैं और उन्हें आयोग के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। आयोग के निर्देशों की अवहेलना करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही, इन अधिकारियों को यह याद दिलाया गया है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हो सकती है, और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

चुनावी प्रक्रिया में बढ़ती चिंताएं

पश्चिम बंगाल में इस कार्रवाई के बाद चुनावी प्रक्रिया में संलिप्त अधिकारियों के कर्तव्यों पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चुनावी कामकाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में, चुनाव आयोग द्वारा किए गए इस कदम को लोकतंत्र के प्रति कड़ी प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है।

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बीएलओ की जिम्मेदारियां और चुनाव आयोग के आदेश

बीएलओ का मुख्य कार्य होता है चुनाव पंजीकरण की प्रक्रिया को सही तरीके से चलाना, ताकि हर नागरिक को वोट देने का अधिकार प्राप्त हो सके। बीएलओ से जुड़ी यह जिम्मेदारी इसलिए और महत्वपूर्ण बन जाती है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया के शुरुआती चरणों से संबंधित है। बीएलओ की लापरवाही से पूरी चुनावी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है, जिसके चलते चुनाव आयोग ने अब कड़ा कदम उठाया है।

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