

सोनभद्र के झरना प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की लगातार गैरहाजिरी से ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने स्कूल को बंद कराने या सभी शिक्षकों को बर्खास्त करने की मांग की है।
शिक्षकों की लापरवाही से स्कूल बंद कराने की चेतावनी
Sonbhadra: जिले के नगवां ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय झरना में शिक्षकों की लगातार अनुपस्थिति से नाराज ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि विद्यालय में शिक्षकों की मनमानी और गैरजिम्मेदार रवैये के कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि ग्रामीणों ने सभी शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करने की मांग की।
बताया गया कि विद्यालय में कुल चार शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन मंगलवार को कोई भी शिक्षक स्कूल नहीं पहुंचा। बुधवार को केवल एक शिक्षक अमरनाथ स्कूल पहुंचे, वह भी निर्धारित समय से डेढ़ घंटे देरी से। इस दौरान बच्चे स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर समय से विद्यालय पहुंचे, लेकिन ताला लगा होने के कारण उन्हें बाहर ही बैठना पड़ा।
छात्रों ने बताया कि मंगलवार को उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा था और बुधवार को भी यही स्थिति बनी रही। वहीं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार गुप्ता ने कहा कि शिक्षकों की गैरहाजिरी की शिकायत पहले भी कई बार एबीएसए से की जा चुकी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने एबीएसए और शिक्षकों के बीच मिलीभगत का आरोप भी लगाया।
ग्रामीणों ने विद्यालय की बदहाल स्थिति पर भी चिंता जताई। न रंगाई-पुताई हो रही है, न ही सफाई की कोई व्यवस्था है। भवन जर्जर है और पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। शिक्षकों की मनमानी से बच्चों का भविष्य खतरे में है। राजकुमार गुप्ता ने कहा कि शिक्षक बिना सूचना के छुट्टी पर चले जाते हैं, और कोई जवाबदेही नहीं है।
गैरहाजिर शिक्षक, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
विद्यालय की दाई निर्मला ने बताया कि शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण मध्याह्न भोजन बर्बाद हो गया। बच्चों को दोपहर 12 बजे ही वापस घर भेजना पड़ा। निर्मला ने बताया कि शिक्षक तो नहीं आते, लेकिन रजिस्टर में हाजिरी भर दी जाती है। मध्याह्न भोजन की व्यवस्था भी लचर है- एक हफ्ते के राशन से दो हफ्ते का भोजन बनाने का दबाव डाला जाता है, बर्तन कम हैं और बच्चों को दूध भी पर्याप्त मात्रा में नहीं दिया जा रहा।
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अभिभावकों ने यह सवाल उठाया कि क्या बच्चे स्कूल पढ़ने आते हैं या सिर्फ भोजन लेने? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे एबीएसए, बीएसए से लेकर लखनऊ तक शिकायत करेंगे। प्रभु नारायण नामक ग्रामीण ने कहा कि सरकार हर महीने शिक्षकों को 80,000 रुपये वेतन देती है, लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे।
स्थानीय लोग अब इस बात की मांग कर रहे हैं कि या तो विद्यालय को सुचारू रूप से चलाया जाए या फिर इसे बंद कर दिया जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन को एक सप्ताह का समय दिया है, अन्यथा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।