

सोनभद्र जिले में तीन घंटे की तेज बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। वाराणसी-शक्तिनगर हाईवे SH 5A पर भारी जलजमाव के चलते ट्रैफिक ठप हो गया और कई इलाकों में घरों व दुकानों में पानी घुस गया। यह स्थिति एक बार फिर बुनियादी शहरी सुविधाओं की पोल खोलती है।
गांवों में घुसा पानी, न सड़कें बचीं न राहत पहुंची
Sonbhadra: अचानक बदले मौसम और तीन घंटे की मूसलधार बारिश ने आज यानी बुधवार को रॉबर्ट्सगंज और उसके आसपास के इलाकों में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। बारिश इतनी जबरदस्त थी कि वाराणसी-शक्तिनगर हाईवे (SH 5A) तालाब में तब्दील हो गया। इससे हाईवे पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया और दोपहिया, चारपहिया वाहनों के लिए निकलना बेहद मुश्किल हो गया।
रॉबर्ट्सगंज शहर में बने फ्लाईओवर के पास पानी भराव की स्थिति भयावह हो गई। नीचे की सड़कों पर करीब दो से तीन फीट तक पानी भर गया, जिससे लोग फंसे रहे और कई वाहन बंद हो गए। फ्लाईओवर के नीचे जल निकासी की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं होने के कारण, सारा पानी वहीं जमा होता गया।
स्थानीय निवासी अमित पांडेय ने बताया, हर साल यही होता है। फ्लाईओवर के नीचे जल निकासी की कोई तैयारी नहीं होती। दो घंटे की बारिश में ही पूरा शहर रुक जाता है।
मंडी समिति के सामने, धर्मशाला चौराहे और चंडी तिराहे के पास जलभराव की स्थिति गंभीर रही। पैदल चलने वाले लोग पानी में कीचड़ और गड्ढों से जूझते नजर आए। कई दुकानों में पानी घुस गया, जिससे लाखों का माल खराब हो गया।
सड़कें बनीं नदी
स्थानीय दुकानदार रामप्रकाश गुप्ता ने नाराजगी जताते हुए कहा, नगरपालिका हर साल टैक्स तो लेती है लेकिन नालियों की सफाई नहीं होती। एक बारिश में सब कुछ तबाह हो गया।
बारिश ने केवल सड़कों को नहीं, बल्कि रिहायशी इलाकों और बाजारों को भी अपनी चपेट में ले लिया। रॉबर्ट्सगंज के कई मोहल्लों- जैसे शीतला मंदिर, नई बस्ती, और सुभाष नगर में घरों के अंदर पानी घुस गया। ग्रामीण इलाकों में तो और भी बुरा हाल है, जहां कीचड़ और गंदगी ने जीवन को पूरी तरह रोक दिया है।
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स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नगर पालिका और जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हर साल मानसून से पहले नालियों की सफाई और जल निकासी की योजना सिर्फ कागजों पर होती है।
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बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से अब तक कोई राहत कार्य शुरू नहीं किया गया है। न तो जलनिकासी की मशीनें पहुंची हैं और न ही कोई आपातकालीन मदद।
लोगों की मांग है कि प्रशासन बारिश से पहले की तैयारियों को लेकर सख्त कदम उठाए और जलनिकासी की व्यवस्था को स्थायी रूप से सुधारे। ग्रामीण इलाकों में भी प्राथमिकता के आधार पर राहत भेजी जाए।