बारिश होते ही डूबने लगता है पाकिस्तान: क्यों हर साल बाढ़ बन जाती है आफत; जानिए इसके पीछे की वजह

जुलाई 2025 में एक बार फिर पाकिस्तान बारिश और बाढ़ की भीषण मार झेल रहा है। जून की शुरुआत से शुरू हुई बारिश ने अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है, जिनमें 85 से अधिक बच्चे शामिल हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के मुताबिक, सिर्फ बीते तीन हफ्तों में ही 178 मौतें और 471 घायल हो चुके हैं।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 18 July 2025, 6:32 PM IST
google-preferred

New Delhi: जुलाई 2025 में एक बार फिर पाकिस्तान बारिश और बाढ़ की भीषण मार झेल रहा है। जून की शुरुआत से शुरू हुई बारिश ने अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है, जिनमें 85 से अधिक बच्चे शामिल हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के मुताबिक, सिर्फ बीते तीन हफ्तों में ही 178 मौतें और 471 घायल हो चुके हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गुरुवार को आई एक दिन की बारिश में ही 63 लोगों की मौत और 227 लोग घायल हो गए। पंजाब, लाहौर, खैबर पख्तूनख्वा, और स्वात घाटी जैसे क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। निचले इलाकों में पानी भर गया है, गलियों में बिजली गुल है और लोगों को पीने के पानी से लेकर बचाव तक की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

क्यों बारिश आते ही बाढ़ जैसे हालात बनने लगते हैं पाकिस्तान में?

1. भौगोलिक स्थिति का प्रभाव

पाकिस्तान में करीब 13,000 ग्लेशियर मौजूद हैं। दुनिया में आर्कटिक क्षेत्र के बाहर सबसे ज्यादा। गर्मियों में जब तापमान 45-48 डिग्री तक पहुंचता है, खासकर गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे इलाकों में, तो ये ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगते हैं। जून-जुलाई में 70-80% सालाना बारिश भी यहीं होती है। यह अचानक जल-जमाव और बाढ़ का बड़ा कारण बनता है।

2. सरकारी नीतियों और प्रबंधन में विफलता

बारिश के समय ढहती इमारतें, जर्जर बस्तियां, और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की धीमी प्रतिक्रिया से मौतों का आंकड़ा बढ़ता है। बुनियादी ढांचे की कमी, और झुग्गियों में रहने वाली आबादी हर साल बाढ़ में बह जाती है। 2023 की यूएन रिपोर्ट भी कहती है कि शहरीकरण की अव्यवस्था पाकिस्तान को अधिक संवेदनशील बना रही है।

3. जलवायु परिवर्तन की भूमिका

पाकिस्तान बार-बार वैश्विक मंचों पर यह बात दोहराता रहा है कि वह ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में केवल 0.5% योगदान देता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पाकिस्तानी नागरिकों पर जलवायु आपदा से मरने का खतरा दुनिया की औसत से 15 गुना अधिक है।

पाकिस्तान में अब तक की 5 सबसे खतरनाक बाढ़ें

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में सबसे भयंकर बाढ़ साल 2010 में आया था, जिसमे 20 मिलियन से ज्यादा लोगों का जीवन प्रभावित हुआ था और 2000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। साथ 2022 में आधुनिक समय की सबसे भयानक आपदा देखने को मिली थी, जिसमे 33 मिलियन लोग प्रभावित, $30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। साथ 1992 में पंजाब और सिंध प्रांत में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी, जिसमे 1,000 से अधिक मौतें हुई थी। साल 2014 में बाढ़ ने जम्मू-कश्मीर से शुरू होकर पाकिस्तान तक कहर बरसाया और इस बाढ़ से पंजाब में बर्बादी देखी गई। वही साल 2020 में कराची में रिकॉर्ड बारिश और शहरी बाढ़ ने कहर मचाया था, जिससे शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया था।

पाकिस्तान क्यों ठहराता है दुनिया को ज़िम्मेदार?

2022 की बाढ़ के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के जरिये 10 अरब डॉलर की मदद मांगी, लेकिन अब तक केवल 2.8 अरब डॉलर ही मिले हैं। पाकिस्तान का दावा है कि विकसित देशों की औद्योगिक गतिविधियों का खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी कहा था कि “यह दुनिया की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह पाकिस्तान की मदद करे।”

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 18 July 2025, 6:32 PM IST