

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और तालिबान विदेश मंत्री के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब तालिबान सरकार ने पहलगाम हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर
नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और तालिबान विदेश मंत्री के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब तालिबान सरकार ने पहलगाम हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा की है। 7 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकी शामिल थे।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को अफगानिस्तान की तालिबान शासित सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ पहली बार आधिकारिक बातचीत की। इस बातचीत में भारत-अफगान पारंपरिक मित्रता, विकास सहयोग और पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठे।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस ऐतिहासिक बातचीत में अफगान लोगों के साथ भारत की पारंपरिक मित्रता को रेखांकित करते हुए उनकी विकास जरूरतों के लिए निरंतर समर्थन की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। गौरतलब है कि भारत ने अभी तक तालिबान शासन को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है।
यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब तालिबान सरकार ने पहलगाम हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा की है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 7 मई को हुए इस आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें पाक समर्थित आतंकी शामिल थे।
बातचीत के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा- "अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्तकी से अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दोहराई। सहयोग को और बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की।"
यह पहली बार है जब भारत और तालिबान के बीच राजनीतिक स्तर पर आधिकारिक बातचीत हुई है, जबकि भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। इससे पहले जनवरी 2025 में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्तकी से मुलाकात की थी।
इससे पहले वर्ष 1999-2000 में ऐसा संपर्क देखने को मिला था, जब भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कंधार विमान अपहरण की घटना के दौरान तत्कालीन तालिबान विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकील से बातचीत की थी।
विशेषज्ञों की माने तो यह वार्ता भारत की रणनीतिक कूटनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह तालिबान के साथ सीधा संवाद स्थापित कर अफगान लोगों से संपर्क और क्षेत्रीय स्थिरता स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।