

झारखंड के दुमका जिले में उस वक्त ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब इस्कॉन (ISKCON) दुमका द्वारा पहली बार भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया।
भगवान जगन्नाथ की पहली भव्य रथयात्रा
Dumka: झारखंड के दुमका जिले में उस वक्त ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब इस्कॉन (ISKCON) दुमका द्वारा पहली बार भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया गया। श्रद्धा और आस्था से ओतप्रोत यह यात्रा धार्मिक भावनाओं की मिसाल बन गई। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। रथ यात्रा गिलानपाड़ा स्थित श्री राधा माधव मंदिर से प्रारंभ हुई और बड़े बांध शिव मंदिर परिसर के समीप संपन्न हुई। यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और "हरि बोल", "जय जगन्नाथ" जैसे उद्घोषों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
इस ऐतिहासिक रथ यात्रा को लेकर इस्कॉन के प्रबंधक सत्यवाक दास ने बताया कि यह दुमका में भगवान जगन्नाथ की पहली रथ यात्रा है, जो पूरी पारंपरिक विधियों के साथ संपन्न हुई। यात्रा के दौरान रथ को भक्तों द्वारा खींचा गया, जो कि स्वयं भगवान को सेवा देने के रूप में माना जाता है। यात्रा के मार्ग में भजन-कीर्तन, संकीर्तन, नृत्य और प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हुई।
इस यात्रा की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि पूरे शहर को एकसूत्र में बाँधने वाला आयोजन था। बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग – सभी श्रद्धा के साथ रथ खींचने और भगवान के दर्शन के लिए आगे आए। इस आयोजन से यह भी स्पष्ट हुआ कि झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी भगवान जगन्नाथ के प्रति गहरी आस्था है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा का आरंभ ओडिशा के पुरी से माना जाता है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ के अपने मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) जाने के प्रतीक स्वरूप होती है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पाप नष्ट हो जाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि भगवान स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं और रथ खींचने का सौभाग्य स्वयं ईश्वर का साक्षात स्पर्श है।
सत्यवाक दास ने जानकारी दी कि भगवान जगन्नाथ की उल्टी रथ यात्रा आगामी 5 जुलाई को दोपहर 12 बजे बड़े बांध परिसर से प्रारंभ होगी। यह यात्रा दुमका के प्रमुख मार्गों से होकर पुनः श्री राधा माधव मंदिर में लौटेगी। यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गिधनी पहाड़ी रोड स्थित राज पैलेस में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा। इससे भक्तों को निकट से प्रभु के दर्शन और पूजन का अवसर प्राप्त होगा।
यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और संस्कृति का अद्भुत संगम भी देखने को मिला। इस्कॉन द्वारा किया गया यह पहला प्रयास दुमका में एक नई आध्यात्मिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों में भी गौरव की अनुभूति हुई कि दुमका अब जगन्नाथ संस्कृति का हिस्सा बन गया है।