

वरिष्ठ IFS अधिकारी परमिता त्रिपाठी को कुवैत में भारत का अगला राजदूत नियुक्त किया गया है। वर्तमान में वह विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। अब वह जल्द ही कुवैत में अपना कार्यभार संभालेंगी।
वरिष्ठ भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी परमिता त्रिपाठी
New Delhi: भारत सरकार ने कुवैत में अपने अगले राजदूत के रूप में वरिष्ठ भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी परमिता त्रिपाठी की नियुक्ति की घोषणा की है। 2001 बैच की अधिकारी परमिता त्रिपाठी वर्तमान में भारत के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें राजनयिक सेवा का व्यापक अनुभव प्राप्त है। अब वह जल्द ही कुवैत में भारत की राजनयिक जिम्मेदारियों का नेतृत्व करेंगी।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'परमिता त्रिपाठी (IFS: 2001), वर्तमान में मंत्रालय में संयुक्त सचिव, को कुवैत राज्य में भारत के अगले राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। वह शीघ्र ही अपना कार्यभार संभालेंगी।'
उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत और कुवैत के द्विपक्षीय संबंध ऊर्जा, निवेश, व्यापार और प्रवासी भारतीयों के मुद्दों पर लगातार मजबूत हो रहे हैं। माना जा रहा है कि परमिता त्रिपाठी अपनी राजनयिक दक्षता से इन संबंधों को और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगी।
परमिता त्रिपाठी को विदेश नीति, बहुपक्षीय संबंधों और दक्षिण एशिया मामलों में गहन अनुभव है। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें भारत के विभिन्न मिशनों में सेवाएं देना, नीति निर्धारण में योगदान और राजनयिक वार्ताओं में भागीदारी शामिल हैं।
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उन्होंने विदेश सेवा में रहते हुए अफगानिस्तान, अमेरिका और नेपाल जैसे देशों में भी महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। भारत की विदेश नीति को लेकर उनकी समझ और संवाद कौशल ने उन्हें हमेशा एक सक्षम राजनयिक के रूप में स्थापित किया है।
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भारत और कुवैत के संबंध ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ रहे हैं। कुवैत में लगभग 10 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही कुवैत भारत के लिए एक प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता है। इन दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और संस्कृति के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है।
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ऐसे में परमिता त्रिपाठी की नियुक्ति को रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा, द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार और कूटनीतिक संवाद को और अधिक सशक्त करेंगी।