भारतीय राजनयिकों, दूतावासों को धमकी देने वालों को विदेश मंत्रालय ने दी ये चेतावनी
भारत ने कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों एवं हिंसा भड़काने की घटनाओं को ‘अस्वीकार्य’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि दूसरे देशों में राजनयिकों, अपने मिशन की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और मेजबान देश से वियना संधि के अनुरूप दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारत ने कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों एवं हिंसा भड़काने की घटनाओं को ‘अस्वीकार्य’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि दूसरे देशों में राजनयिकों, अपने मिशन की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और मेजबान देश से वियना संधि के अनुरूप दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘भारतीय राजनयिकों, मिशन के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले पोस्टर अस्वीकार्य हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है और हमने संबंधित देशों के समक्ष इस विषय को उठाया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अपेक्षा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवादी, चरमपंथी तत्वों को कोई स्थान नहीं दिया जाए।’’
बागची ने कहा कि राजनयिकों, वाणिज्य दूतावासों, उच्चायोगों को लेकर पोस्टर लगाने का मुद्दा काफी गंभीर है, जिनमें हिंसा के लिए उकसाने, धमकी देने की बात की गई है।
उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया से बात की गई है, कुछ जगहों से तत्काल कार्रवाई की सूचना मिली है और कुछ स्थानों को लेकर अपेक्षा है कि कार्रवाई की जायेगी।
बागची ने कहा कि अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की घटना को भी वहां के प्रशासन के समक्ष उठाया गया और वहां से उच्च स्तर पर प्रतिक्रिया आई है तथा ऐसे कृत्य को उन्होंने आपराधिक बताया है।
कुछ दिन पहले ही भारत ने नयी दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया था और कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों पर एक ‘डिमार्शे’ (आपत्ति जताने वाला पत्र) जारी किया था।
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समझा जाता है कि भारत ने कनाडा के अधिकारियों से आठ जून को कनाडा में भारतीय मिशन के बाहर खालिस्तान समर्थक समूहों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर उचित कदम उठाने को भी कहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नहीं है बल्कि इनके नाम पर ही आतंकवादी तत्वों, अलगाववादी तत्वों को मौका मिल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जानना चाहते हैं कि देशों ने क्या कार्रवाई की या क्या कार्रवाई की जा रही है क्योंकि पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।’’
बागची ने कहा, ‘‘हम ऐसे हमलों या धमकियों को काफी गंभीरता से लेते हैं और जो भी कार्रवाई जरूरी है, हम करते रहेंगे।’’
उन्होंने कहा कि हमारा दूतावास ऐसी घटनाओं पर नजर बनाए हुए है और स्थानीय प्रशासन के सम्पर्क में है।
प्रवक्ता ने कहा कि मेजबान देश से वियना संधि के अनुरूप दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है।
भारत ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों के हमले का मामला भी अमेरिका के साथ उठाया है।
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यह कुछ महीनों के भीतर सैन फ्रांसिस्को में राजनयिक मिशन पर हमले की ऐसी दूसरी घटना है। खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने 19 मार्च को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर तोड़फोड़ की थी।
खालिस्तान समर्थकों ने दो जुलाई को एक वीडियो ट्विटर पर साझा किया, जिसमें सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में कुछ लोगों को आगजनी की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है।
पिछले महीने, ब्रैम्पटन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से जुड़ी एक झांकी निकाले जाने की घटना के दृश्य सोशल मीडिया पर आने के बाद भारत ने कनाडा को चेतावनी देते हुए कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह ठीक नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, ‘‘ स्पष्ट रूप से हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के अलावा कोई ऐसा क्यों करेगा।’’
इसी सप्ताह सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि ‘चरमपंथी, अतिवादी’ खालिस्तानी सोच भारत या अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया जैसे सहयोगी देशों के लिए ठीक नहीं है।