

सितंबर 2025 में जीएसटी कलेक्शन 1.89 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो पिछले साल की तुलना में 9.1% अधिक है। 375 वस्तुओं पर टैक्स कटौती और त्योहारी खरीदारी ने राजस्व में जबरदस्त उछाल दिया।
केन्द्र और राज्य सरकार की हो गई बल्ले-बल्ले
New Delhi: सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए GST 2.0 सुधारों ने राजस्व संग्रहण के मोर्चे पर बड़ी राहत दी है। सितंबर 2025 के जीएसटी कलेक्शन आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि टैक्स दरों में कटौती और व्यापक सुधारों के बावजूद सरकार के खजाने में मजबूती आई है। जीएसटी कलेक्शन साल-दर-साल आधार पर 9.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.89 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक नया रिकॉर्ड है।
तुलनात्मक रूप से देखें तो सितंबर 2024 में कलेक्शन 1.73 लाख करोड़ रुपये और अगस्त 2025 में 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा था। इसके साथ ही, घरेलू लेन-देन से जीएसटी राजस्व में 6.8% की बढ़ोतरी दर्ज हुई जबकि आयात कर से प्राप्त राजस्व 15.6% बढ़कर 52,492 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
22 सितंबर से लागू हुए GST 2.0 सुधारों के तहत 375 वस्तुओं पर टैक्स दरों में कटौती की गई। इनमें घरेलू उपयोग की चीज़ें, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, दवाइयां, मोटर वाहन और उपकरण जैसी आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। इस कदम से आम उपभोक्ताओं को राहत तो मिली ही, साथ ही बाजार में खरीदारी का स्तर भी बढ़ा।
जीएसटी कटौती से डबल बोनस
त्योहारी सीजन और कम दरों के कॉम्बिनेशन ने उपभोग में तेजी लाई, जिससे जीएसटी कलेक्शन पर सकारात्मक असर पड़ा। यही कारण है कि जीएसटी रिफंड भी 40.1% की जबरदस्त छलांग के साथ 28,657 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 5% अधिक है।
राज्यों को जीएसटी दरों में कटौती से राजस्व में गिरावट का अंदेशा था, लेकिन सितंबर के आंकड़ों ने उनकी आशंका को खारिज कर दिया है। अब न केवल केंद्र बल्कि राज्यों को भी जीएसटी संग्रह से बड़ा राजस्व मिला है, जिससे दोनों सरकारों के खजाने में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इंदौर में कारोबारियों, उद्यमियों और कर विशेषज्ञों के साथ संवाद करते हुए कहा कि “जीएसटी सुधारों का सीधा फायदा आम जनता और देश की अर्थव्यवस्था को मिल रहा है।” उन्होंने कहा कि जब उपभोक्ताओं के हाथ में अतिरिक्त पैसा होता है, तो बाजार में मांग बढ़ती है और इससे देश की आर्थिक रफ्तार तेज होती है।
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उन्होंने जीएसटी लागू करने में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की विफलता पर भी टिप्पणी की। चौधरी ने कहा कि “पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विश्वसनीयता की कमी थी, जिस कारण राज्य सरकारें भी तैयार नहीं थीं।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि 2017 में लागू हुई जीएसटी प्रणाली अब मजबूत नींव पर खड़ी है।
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सितंबर के ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सुधारवादी टैक्स नीति, यदि सही समय और रणनीति के साथ लागू की जाए, तो इसका असर केवल सरकार के खजाने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि उपभोक्ता से लेकर उद्यमी तक सभी को लाभ मिलता है। आने वाले महीनों में त्योहारी सीजन और मांग में इज़ाफे के चलते जीएसटी कलेक्शन में और भी तेजी देखी जा सकती है।