

सरकार ने कहा है कि अब लोन के लिए CIBIL स्कोर को अनिवार्य नहीं माना जाएगा। RBI के नियमों के अनुसार बैंक खराब क्रेडिट स्कोर के बावजूद भी लोन देने से इनकार नहीं कर सकते।
अब लोन के लिए CIBIL स्कोर को अनिवार्य नहीं
New Delhi: देश में क्रेडिट स्कोर यानी CIBIL स्कोर को लेकर पुराना विवाद खत्म होने वाला है। सरकार ने हाल ही में संसद में स्पष्ट किया है कि अब बैंक किसी भी व्यक्ति को लोन देने के लिए CIBIL स्कोर को अनिवार्य क्राइटेरिया नहीं मानेंगे। यानी यदि आपका CIBIL स्कोर खराब या कम है तब भी बैंक आपको लोन देने से इंकार नहीं कर सकते। यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जो खराब क्रेडिट स्कोर के कारण लोन पाने में असमर्थ थे।
CIBIL स्कोर का पूरा नाम Credit Information Bureau India Limited है, जिसे आमतौर पर लोग 'सिविल स्कोर' के नाम से जानते हैं। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और यह दर्शाता है कि आप कितना जिम्मेदारी से अपने कर्ज का भुगतान करते हैं। अब तक लोन मिलने के लिए यह स्कोर एक महत्वपूर्ण आधार माना जाता था। अगर स्कोर कम होता था तो बैंक लोन देने से मना कर देते थे। लेकिन सरकार ने इस प्रथा को बदलने का फैसला किया है।
संसद में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नियमों में कहीं भी CIBIL स्कोर का न्यूनतम मानक निर्धारित नहीं किया गया है। RBI ने कभी यह नहीं कहा कि लोन लेने के लिए निश्चित CIBIL स्कोर होना आवश्यक है। इसी आधार पर सरकार ने कहा कि खराब CIBIL स्कोर के बावजूद भी बैंक को लोन देने से इनकार नहीं करना चाहिए।
सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन नए लोन अप्लायर्स को होगा जो पहली बार लोन लेने जा रहे हैं। अब उन्हें अपने CIBIL स्कोर की चिंता किए बिना लोन के लिए आवेदन करने का मौका मिलेगा। यह कदम आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देगा और वित्तीय रूप से पिछड़े लोगों को भी बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच बनाने में मदद करेगा।
CIBIL स्कोर को लेकर बड़ा ऐलान
CIBIL स्कोर की महत्ता यह है कि यह बैंक और वित्तीय संस्थानों को आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और भुगतान क्षमता का आंकलन करने में मदद करता है। स्कोर जितना उच्च होता है, लोन की स्वीकृति और राशि बढ़ाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। लेकिन खराब स्कोर होने पर बैंक लोन देने से बचते हैं, जिससे कई लोगों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाती थी।
सरकार का यह निर्णय आर्थिक न्याय और सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस नीति के लागू होने से अधिक से अधिक लोग बिना CIBIL स्कोर की बाधा के लोन हासिल कर सकेंगे, जिससे उनकी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से छोटे व्यवसायी, नए उद्यमी और मध्यम वर्ग को काफी लाभ होगा। क्योंकि वे अक्सर खराब या न होने वाले CIBIL स्कोर के कारण बैंकिंग सेवाओं से वंचित रह जाते थे। अब उनकी पहुंच आसान हो जाएगी और वे अपनी जरूरत के मुताबिक वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
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हालांकि, बैंक अब भी ग्राहकों की वित्तीय स्थिति, आय और पुनर्भुगतान क्षमता को परखेंगे, लेकिन केवल CIBIL स्कोर को लोन अस्वीकृति का कारण नहीं बनाया जाएगा। यह कदम देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।