

गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ी सुलेमान अल-ओबेद की इजरायली गोलीबारी में मौत हो गई है। स्थानीय खेल संघ की रिपोर्ट के अनुसार, 41 वर्षीय सुलेमान अल-ओबेद को बुधवार को दक्षिणी गाजा पट्टी में इजरायली बलों ने निशाना बनाया, जहां वे मानवीय सहायता का इंतजार कर रहे थे।
फिलिस्तीनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ी सुलेमान अल-ओबेद (सोर्स गूगल)
New Delhi: गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ी सुलेमान अल-ओबेद की इजरायली गोलीबारी में मौत हो गई है। स्थानीय खेल संघ की रिपोर्ट के अनुसार, 41 वर्षीय सुलेमान अल-ओबेद को बुधवार को दक्षिणी गाजा पट्टी में इजरायली बलों ने निशाना बनाया, जहां वे मानवीय सहायता का इंतजार कर रहे थे। फिलिस्तीनी फुटबॉल संघ (पीएफए) ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि अल-ओबेद को ‘फिलिस्तीनी पेले’ के नाम से जाना जाता था।
सूत्रों के अनुसार, सुलेमान अल-ओबेद गाजा के खदामत अल-शाती क्लब के पूर्व स्टार खिलाड़ी थे। उन्होंने फिलिस्तीनी राष्ट्रीय टीम के लिए 24 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और अपने करियर में 100 से अधिक गोल दागे। एक मिडफील्डर के रूप में उनकी भूमिका टीम में बेहद महत्वपूर्ण थी। उन्होंने वेस्ट बैंक के अल-अमारी यूथ सेंटर क्लब के लिए भी खेला, जहां उनका प्रदर्शन काफी सराहा गया।
सुलेमान की मौत से फिलिस्तीनी खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। पीएफए ने बताया कि अल-ओबेद की मौत न केवल एक फुटबॉल स्टार के जाने का गम है, बल्कि यह फिलिस्तीनी समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति भी है। वे न केवल एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी थे।
सुलेमान अल-ओबेद का जीवन संघर्ष और प्रतिबद्धता का उदाहरण था। वर्ष 2010 में, वे गाजा के छह खिलाड़ियों में से एक थे जिन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इजरायली अधिकारियों ने जॉर्डन सीमा पर लौटाया था। वे मौरितानिया में होने वाले एक फ्रेंडली मैच में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से उनकी यात्रा रोक दी गई थी।
गाजा पट्टी और आसपास के इलाकों में जारी संघर्ष के बीच, सुलेमान अल-ओबेद जैसे खिलाड़ियों की मौत ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है। उनके निधन ने न केवल खेल जगत को झकझोर दिया है, बल्कि एक शांतिपूर्ण और बेहतर भविष्य की जरूरत को भी बल दिया है। फिलिस्तीनी फुटबॉल संघ और स्थानीय खेल संगठन उनके योगदान को याद करते हुए युवाओं में खेल भावना और देशभक्ति की भावना को जागरूक करने का संकल्प ले रहे हैं।
सुलेमान अल-ओबेद की मृत्यु इस बात की याद दिलाती है कि खेल भी जंग की आंच से बच नहीं पाया है और शांति व सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी है। उनकी यादें हमेशा खेल प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगी।