Chandauli News: गंगा में मछली मारने के टेंडर पर निषाद पार्टी का विरोध, डीएम को सौंपा ज्ञापन; क्या है आगे की रणनीति?

चंदौली में गंगा नदी में मछली मारने के लिए किए जा रहे टेंडर का निषाद पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर नीलामी प्रक्रिया रोकने की मांग की।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 2 September 2025, 7:21 PM IST
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Chandauli: उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद में गंगा नदी में मछली मारने के टेंडर की प्रक्रिया को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। निषाद पार्टी इस प्रक्रिया के विरोध में उतर आई है और इसे रोकने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है। निषाद पार्टी ने स्पष्ट रूप से कहा कि गंगा नदी केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र और पूज्यनीय मां है, उसकी नीलामी करना आस्था पर आघात है।

मछली मारने की नीलामी के खिलाफ निषाद पार्टी का विरोध

गंगा में मत्स्य आखेट के लिए नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसे लेकर मछुआरा समुदाय और आम जनमानस में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि गंगा नदी पर किसी भी तरह की व्यावसायिक नीलामी, खासकर मछली मारने जैसे काम के लिए, स्थानीय मछुआ समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचाएगी।

मंत्री के निर्देश पर सौंपा गया ज्ञापन

इस मौके पर निषाद पार्टी के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार निषाद ने बताया कि यह विरोध पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद के निर्देश पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, हमारे मंत्री जी ने स्पष्ट कहा है कि गंगा जैसी पवित्र नदी में मछली मारने के टेंडर की प्रक्रिया गलत है। हम इसे नहीं होने देंगे।

प्रदेश सचिव शिवकुमारी निषाद ने कहा, गंगा नदी सिर्फ मछली पकड़ने की जगह नहीं है, वह हमारी सांस्कृतिक पहचान है। सरकार को चाहिए कि वह इस नीलामी को तत्काल प्रभाव से रद्द करे और इस पर स्थायी रोक लगाए।

आस्था और आजीविका का प्रश्न

निषाद पार्टी के अनुसार, यह मामला केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि हजारों निषाद परिवारों की आजीविका से भी जुड़ा हुआ है। अगर गंगा नदी की मछली मारने का अधिकार ठेकेदारों को दे दिया गया, तो स्थानीय मछुआरे बेरोजगार हो जाएंगे और उनकी पारंपरिक आजीविका पर संकट आ जाएगा।

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प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने ‘गंगा हमारी माता है’, ‘नीलामी बंद करो’, ‘मछुआरों को उनका हक दो’ जैसे नारे भी लगाए। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने मांग की है कि इस प्रक्रिया को जन भावना और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए तुरंत रोका जाए।

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क्या है आगे की रणनीति?

निषाद पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन द्वारा जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो पार्टी प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। पार्टी ने कहा कि वे सरकार में रहते हुए भी जनहित के मुद्दों पर समझौता नहीं करेंगे। जिलाधिकारी कार्यालय से आश्वासन मिला है कि मामले की जांच की जाएगी और उच्च अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाएगा।

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