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केंद्र सरकार ने लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण विधेयक 2025 पेश कर दिया है। यह विधेयक मनरेगा की जगह लेने जा रहा है, जिसमें रोजगार से आगे आजीविका और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi: केंद्र सरकार ने लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण (VB-G RAM G) विधेयक 2025 पेश कर दिया है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस विधेयक को सदन के पटल पर पुनर्स्थापित किया। यदि संसद से इसे मंजूरी मिल जाती है, तो यह कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह ले लेगा।
इस विधेयक के लागू होने पर न सिर्फ मनरेगा का नाम बदलेगा, बल्कि इसके कई नियम-कायदे भी नए सिरे से तय किए जाएंगे। सरकार का दावा है कि यह कानून ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को केवल मजदूरी तक सीमित न रखकर स्थायी आजीविका, इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक मजबूती की दिशा तय करेगा।
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1. जल सुरक्षा: इसके तहत जल संरक्षण, सिंचाई सहायता, भूजल पुनर्भरण, तालाबों और जल निकायों के पुनर्जीवन, वॉटरशेड विकास और वनीकरण जैसे कार्य किए जाएंगे।
2. मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर: ग्रामीण सड़कों, स्कूलों, सार्वजनिक भवनों, स्वच्छता ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा और आवास से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
3. आजीविका से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर: कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, भंडारण, बाजार, कौशल विकास और सर्कुलर इकोनॉमी से जुड़े परिसंपत्तियों के निर्माण पर जोर रहेगा।
4. मौसमी व आपदा आधारित कार्य: बाढ़, सूखा, वनाग्नि जैसी आपदाओं से निपटने के लिए तटबंध, आश्रय स्थल, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन संरचनाएं बनाई जाएंगी।
सरकार के अनुसार, वीबी-जी राम जी में रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन किया गया है। इसके अलावा सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक से जोड़ा जाएगा, जिससे देशभर में एक समान और टिकाऊ ढांचा तैयार हो सके।
• बायोमेट्रिक सत्यापन
• जीपीएस आधारित योजना और निगरानी
• मोबाइल रिपोर्टिंग
• रियल-टाइम डैशबोर्ड
• एआई आधारित विश्लेषण
• सख्त सोशल ऑडिट
नए कानून में राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे खेती के पीक सीजन को देखते हुए एक साल में 60 दिन तक काम न देने की अवधि तय कर सकें।
साथ ही खर्च का बोझ भी अब राज्यों पर डाला गया है।
• पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए: 90% केंद्र, 10% राज्य
• अन्य राज्यों के लिए: 60% केंद्र, 40% राज्य
सरकार का कहना है कि इससे किसानों को बुवाई-कटाई के समय मजदूरों की उपलब्धता बनी रहेगी। मजदूरों के लिए काम के दिन बढ़ने से आय में इजाफा होगा और वैकल्पिक रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
मनरेगा में सामने आई गड़बड़ियों को देखते हुए सरकार ने एआई, जीपीएस और साप्ताहिक सार्वजनिक रिपोर्टिंग का प्रावधान किया है। हर ग्राम पंचायत में साल में दो बार सोशल ऑडिट अनिवार्य होगा।
कांग्रेस, वाम दल और अन्य विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार एक अधिकार आधारित कानून को शर्तों वाली योजना में बदल रही है। प्रियंका गांधी वाड्रा और शशि थरूर ने गांधीजी का नाम हटाने पर आपत्ति जताई। वाम दलों का कहना है कि 60 दिन काम रोकने और 60:40 खर्च मॉडल से गरीब और राज्य सरकारें सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी।