

दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों में से सिर्फ तुर्किये अजरबैजान ने ही पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की इस खबर में पीछें की वजह
भारत के खिलाफ पाक की गोद में बैठा तुर्किये और अजरबैजान
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच दुनिया भर से विभिन्न देशों ने भारत का खुलकर समर्थन किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, रूस, चीन, अमेरिका और यूरोप के प्रमुख देशों ने भारतीय कार्रवाई को उचित ठहराया, लेकिन पाकिस्तान को इससे उलट केवल तुर्किये और अजरबैजान का समर्थन मिला। जबकि दुनिया भर के 50 से ज्यादा मुस्लिम देशों में से अधिकांश ने पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया।
पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ीं
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान की असलियत को पहचान लिया है। पाकिस्तान ने लंबे समय तक खुद को इस्लाम के झंडाबरदार के रूप में प्रस्तुत किया था, लेकिन अब उसे यह समझ में आ गया है कि वह मजहब के नाम पर आतंकवादी नेटवर्क को बढ़ावा दे रहा है। जिसका इस्तेमाल वह भारत और अन्य पड़ोसी देशों में हिंसा फैलाने के लिए करता है। इस कारण दुनिया के अधिकांश मुस्लिम देश अब पाकिस्तान के रुख से सहमत नहीं हैं।
कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण पर ध्यान
मुस्लिम देशों ने भारत-पाकिस्तान तनाव को धर्म के चश्मे से देखने की बजाय कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से देखा। इसका असर पाकिस्तान पर पड़ा, क्योंकि इस्लामाबाद लंबे समय से खुद को दक्षिण एशिया में इस्लाम का मुख्य प्रवर्तक मानता था लेकिन अब इसे एहसास हुआ कि मुस्लिम देशों का रुख भारत के प्रति बदल रहा है। उदाहरण के लिए भारत में मुसलमानों की संख्या काफी बड़ी है और वह दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है, बावजूद इसके मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान के बजाय भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने का रुख अपनाया।
सऊदी अरब और यूएई की भारत के प्रति बदलती नीति
पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद देने वाले देशों में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देश अब पाकिस्तान से दूरी बनाने लगे हैं। दोनों देशों ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को सीमित करते हुए भारत के साथ अपनी कूटनीतिक और आर्थिक साझेदारी बढ़ाई है। यह बदलाव पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि सऊदी अरब और यूएई जैसे देश पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं।
तुर्किये ने दिया पाक का साथ
तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप अर्दोआन पाकिस्तान के सबसे प्रमुख समर्थनकर्ता के रूप में उभरे हैं। अर्दोआन लंबे समय से अपने देश को ऑटोमन साम्राज्य के पुराने रुतबे की ओर लौटाना चाहते हैं और पूरी इस्लामी दुनिया के नेतृत्व का दावा करते हैं। तुर्किये का पाकिस्तान के साथ संबंध इस कारण मजबूत हुआ है कि तुर्किये और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ सैन्य और कूटनीतिक संबंध हैं। तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति की है और पाकिस्तान की ओर से तुर्की को समर्थन मिलने से उसे इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में अपनी स्थिति को मजबूत करने का मौका मिला है।
अजरबैजान का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना
अजरबैजान की स्थिति तुर्किये से भी अलग है। हालांकि, अजरबैजान ने पाकिस्तान के साथ सीधे समर्थन का दावा नहीं किया है, लेकिन तुर्किये के साथ इसके घनिष्ठ राजनयिक, रक्षा और आर्थिक संबंधों के कारण यह पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने अक्सर भारत के खिलाफ कठोर बयान दिए हैं, और पाकिस्तान के प्रति समर्थन दिखाया है। 2020 में जब आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध हुआ, पाकिस्तान ने खुले तौर पर अजरबैजान का समर्थन किया और सैन्य मदद की पेशकश भी की। इसके अलावा भारत ने इस युद्ध में आर्मेनिया का समर्थन किया था, जो अजरबैजान के लिए असहनीय था। इस कारण अजरबैजान ने भारत के प्रति नकारात्मक रुख अपनाया और पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कड़ी कार्रवाई और पाकिस्तान का लगातार आतंकवाद को समर्थन देने का मामला अब पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है। पाकिस्तान को कूटनीतिक और सैन्य समर्थन केवल तुर्किये और अजरबैजान से ही मिल रहा है, जबकि अधिकांश मुस्लिम देश पाकिस्तान की वास्तविकता को समझते हुए उसे अकेला छोड़ रहे हैं।