भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग: पितृ पक्ष की शुरुआत के साथ आज का दिन बना विशेष, जानें समय और प्रभाव

07 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा, पितृ पक्ष की शुरुआत और चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दिन धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत विशेष माना जा रहा है। ग्रहण काल में श्रद्धा और सावधानी दोनों का विशेष महत्व रहेगा।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 7 September 2025, 8:04 AM IST
google-preferred

New Delhi: आज 07 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत पावन और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इसी दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जो पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्ति के लिए समर्पित एक विशेष काल होता है। इस बार भाद्रपद पूर्णिमा और पितृ पक्ष का प्रारंभ और भी विशेष बन गया है क्योंकि आज चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। यह संयोग बहुत दुर्लभ है और धार्मिक मान्यताओं में इसे अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।

पितृ पक्ष का प्रारंभ

पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और यह आश्विन अमावस्या तक चलता है। यह काल 15 दिनों का होता है, जिसमें लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्रद्धा की अपेक्षा करते हैं। इस समय में किया गया तर्पण उन्हें तृप्त करता है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग

चंद्र ग्रहण का समय और प्रभाव

आज रात को लगने वाला चंद्र ग्रहण खगोलीय दृष्टिकोण से भी विशेष है। यह ग्रहण 07 सितंबर को रात 09:58 बजे शुरू होगा और 08 सितंबर को देर रात 01:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण भारत सहित एशिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव भी माना जा रहा है। ग्रहण के दौरान सूतक काल भी मान्य होता है, जो ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।

तिथि, योग और मुहूर्त

• तिथि: शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (रात्रि 11:38 बजे तक)
• दिन: रविवार
• मास: भाद्रपद
• संवत्: 2082
• योग: सुकरमा (09:23 बजे तक)
• नक्षत्र: शतभिषा (रात्रि 09:41 बजे तक)
• चंद्रमा की राशि: मकर
• सूर्य की राशि: सिंह

सूर्य, चंद्र और ग्रहों की स्थिति

• सूर्योदय: सुबह 06:02 बजे
• सूर्यास्त: शाम 06:37 बजे
• चंद्रमा उदय: शाम 05:52 बजे
• चंद्रमा अस्त: सुबह 05:19 बजे (08 सितंबर)

भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग

शुभ और अशुभ समय

• अभिजीत मुहूर्त: 11:54 AM- 12:44 PM
• अमृत काल: 02:51 PM- 04:22 PM
• राहुकाल: 05:01 PM- 06:36 PM
• गुलिक काल: 03:27 PM- 05:01 PM
• यमगण्ड: 12:19 PM- 01:53 PM

शतभिषा नक्षत्र का प्रभाव

आज चंद्रदेव शतभिषा नक्षत्र में संचार करेंगे। इस नक्षत्र के स्वामी राहु हैं और इसका संबंध जल देवता वरुण से है। इस नक्षत्र के जातक प्रायः बुद्धिमान, स्वतंत्र सोच वाले, जिज्ञासु और महत्वाकांक्षी होते हैं। यह नक्षत्र सीमाओं को तोड़ने, नए प्रयोगों और अनुसंधान से जुड़ा होता है।

ग्रहण काल में सावधानियां और धार्मिक नियम

ग्रहण काल के दौरान स्नान, ध्यान, जाप और दान को अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है। हालांकि, इस समय में भोजन, यात्रा और कोई भी शुभ कार्य वर्जित रहता है। सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं, और देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता। ग्रहण के बाद स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना, दान देना और तुलसी पत्र का सेवन शुभ माना जाता है।

संयोग का विशेष फल

पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है, जिससे यह समय और भी शक्तिशाली माना जा रहा है। इस दिन अगर व्यक्ति अपने पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक तर्पण करता है तो विशेष फल की प्राप्ति होती है और पूर्वजों की आत्मा को भी परम शांति मिलती है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 7 September 2025, 8:04 AM IST

Related News

No related posts found.