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Tirupati Balaji Temple: भक्तों के इतने चढ़ावे से बनता है अरबों का खजाना, जानें संभालता है कौन

तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर
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Tirupati Balaji Temple: भक्तों के इतने चढ़ावे से बनता है अरबों का खजाना, जानें संभालता है कौन

तिरुपति: आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर और प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने आते हैं और अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में दान करते हैं।

डाइनामाइट न्यूज के मुताबिक,  इस मंदिर की संपत्ति अक्सर चर्चा का विषय रहती है और लोग जानना चाहते हैं कि यहां कितनी संपत्ति छिपी है और इसकी देखभाल कौन करता है।

मंदिर की कुल संपत्ति करीब 2.5 लाख करोड़

तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्ति अरबों रुपये में होने का अनुमान है। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर की कुल संपत्ति करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये है। इस संपत्ति में सोना, नकदी और अन्य कीमती धातुओं का विशाल संग्रह शामिल है। भक्तों द्वारा दान किए गए आभूषण और मूर्तियां इस खजाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

डिजिटल माध्यम से भी दान

तिरुपति मंदिर में 10 टन से अधिक सोना है, जो भक्तों द्वारा दान किया गया है। इसमें सोने के आभूषण और मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा मंदिर को हर साल करीब 3,000 करोड़ रुपये का नकद दान भी मिलता है। भक्त मंदिर में स्थित हुंडी में नकद राशि डालते हैं और डिजिटल माध्यम से भी दान किया जाता है।

सरकारी बॉन्ड और रियल एस्टेट में निवेश

सोने के अलावा मंदिर में चांदी, रत्न और अन्य कीमती धातुओं का संग्रह भी है। मंदिर की संपत्ति का प्रबंधन करने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) इस संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न सरकारी बॉन्ड और रियल एस्टेट में निवेश करता है, जिससे मंदिर की आय में वृद्धि होती है।

मंदिर की संपत्ति का उचित उपयोग

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) एक सरकारी निकाय है जो तिरुपति मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी संभालता है। टीटीडी आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन काम करता है और मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों, विकास कार्यों और भक्तों के लिए सुविधाओं का प्रबंधन भी करता है। टीटीडी के बोर्ड में सरकारी अधिकारी, धार्मिक गुरु और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति शामिल होते हैं जो मंदिर की संपत्ति का उचित उपयोग सुनिश्चित करते हैं।

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