

बिहार की एसआईआर (Special Intense Revision) प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान के दस्तावेज़ के रूप में अस्वीकार करने पर सवाल उठाए। अब मंगलवार को दोनों पक्षों से जवाब मांगा गया है।
सुप्रीम कोर्ट (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intense Revision - SIR) को लेकर अहम सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने एसआईआर को चुनौती देते हुए इसकी प्रक्रिया पर रोक की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि ड्राफ्ट सूची से किसी के अधिकारों का हनन नहीं होता।
सूत्रों के अनुसार सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची शामिल थे। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग (ECI) से तीखे सवाल पूछे कि आखिर क्यों आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता नहीं दी जा रही है।
कोर्ट ने कहा, “अगर फर्जीवाड़े की आशंका है तो ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं जिसे नकली न बनाया जा सके। फिर आपके 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों का आधार क्या है?” कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब आधार को पहचान के लिए उपयोग किया जा सकता है, तो फिर उसे अस्वीकार क्यों किया गया?
ECI की ओर से पेश वकील ने कहा कि राशन कार्ड में फर्जीवाड़ा अधिक होता है, इसलिए उसे मान्यता देने में कठिनाई है। साथ ही बताया गया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, पर उसे पहचान के लिए प्रयोग किया जा सकता है। आयोग ने हलफनामे में कहा कि जनवरी 2025 की मतदाता सूची में जो लोग पहले से हैं, उन्हें ड्राफ्ट सूची में रखा जाएगा, यदि वे गणना फॉर्म जमा करते हैं।
अगर कोई व्यक्ति सूची से हटाया जाता है तो उसकी अपील और सुनवाई का तंत्र क्या है?
सामूहिक बहिष्करण के बजाय सामूहिक समावेशन की दिशा में क्यों नहीं काम हो रहा?
याचिकाकर्ता गोपाल शंकर नारायणन ने ड्राफ्ट सूची को अंतिम रूप देने से रोकने की मांग की। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट लिस्ट को अंतिम मानना उचित नहीं और यदि जरूरत पड़ी तो पूरी प्रक्रिया को रद्द भी किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई मंगलवार सुबह 10:30 बजे तय की है और तब तक दोनों पक्षों से स्पष्ट शेड्यूल और जवाब मांगे हैं।