Delhi AQI: दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का बढ़ता संकट, क्या है इसका कारण और भविष्य की चुनौतियां?

दिल्ली और उत्तर भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। हालांकि इस साल प्रदूषण के स्तर में सुधार हुआ है, लेकिन सर्दी बढ़ने के साथ स्थिति और बिगड़ सकती है। सरकार ने नए उपाय किए हैं, लेकिन चुनौती अब भी बनी हुई है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 1 December 2025, 8:08 AM IST
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New Delhi: दिसंबर की शुरुआत में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुँच गया है। 1 दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 370 था, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में AQI और भी उच्च स्तर पर दर्ज किया गया है, जिसमें ग्रेटर नोएडा का AQI 407 के पार गया। इस वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है और बाहर सैर करना भी जानलेवा हो सकता है।

उत्तर भारत में प्रदूषण का विकराल रूप

दिल्ली के अलावा उत्तर भारत के अन्य प्रमुख शहरों में भी प्रदूषण का स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। लखनऊ में AQI 346 और देहरादून में 165 दर्ज किया गया। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उत्तर भारत में एक गंभीर समस्या बन चुका है।

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पिछले 8 सालों में प्रदूषण में कमी

हालांकि इस साल प्रदूषण के स्तर में कुछ राहत भी देखने को मिली है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस साल औसत AQI पिछले 8 वर्षों में सबसे कम दर्ज हुआ है, 2020 के लॉकडाउन वर्ष को छोड़कर। 2025 में औसत AQI 187 था, जो कि 2018 के बाद का सबसे कम स्तर था। यह सकारात्मक संकेत है कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कुछ उपाय प्रभावी हो रहे हैं।

सीजनल ट्रेंड में सुधार, लेकिन चुनौतियाँ बनीं

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति में लगातार सुधार देखा गया है। 2025 में औसत AQI 187 दर्ज किया गया, जो 2024 (201), 2023 (190) और 2022 (199) से कम है। हालांकि, गंभीर प्रदूषण के दिन अब भी जारी हैं, और इस साल केवल 3 दिन AQI 400 के पार गया है, जबकि 2024 और 2023 में यह संख्या ज्यादा थी। लेकिन इस राहत को पूरी तरह से स्थायी मानना जल्दबाजी होगी, क्योंकि सर्दी बढ़ने के साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ सकता है।

सर्द हवाओं ने दी अस्थायी राहत

पिछले सप्ताह में तेज उत्तर-पश्चिमी हवाओं ने प्रदूषण के स्तर को कुछ हद तक कम किया। 29 नवंबर को दिल्ली में AQI घटकर 279 पर आ गया, जबकि न्यूनतम तापमान 8.3°C तक पहुंच गया था। यह सर्द हवाएँ प्रदूषण को बिखेरने में मददगार साबित हुईं। हालांकि, मौसम विज्ञान विभाग का मानना है कि अगले कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ सकता है, खासकर जब हवा की गति धीमी हो और स्मॉग का असर देखने को मिले।

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प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार के कदम

वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए CAQM ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) में बड़ा बदलाव किया है। अब स्टेज-III में प्रतिबंधों को स्टेज-IV के समकक्ष माना जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जैसे ही प्रदूषण बढ़े, राज्य सरकार तुरंत वर्क-फ्रॉम-होम की घोषणा कर सकेगी और निर्माण कार्यों को नियंत्रित किया जा सकेगा।

राजनीति और प्रदूषण नियंत्रण

AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि "प्रदूषण के वास्तविक स्तर को 500-700 के बीच दर्शाया गया, जबकि आंकड़ों में इसे 300-400 दिखाया गया है।" उनका मानना है कि यह बदलाव केवल इसलिए किया गया ताकि आवश्यक प्रतिबंधों से बचा जा सके। यह राजनीतिक आरोपों से जुड़े सवालों को जन्म देता है और यह साबित करता है कि प्रदूषण पर काबू पाना एक जटिल मुद्दा है जिसमें राजनीतिक निर्णय भी अहम भूमिका निभाते हैं।

सर्दियों में प्रदूषण का संकट

सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की संभावना है, खासकर जब तापमान और हवा की गति में गिरावट आती है। प्रदूषण विशेषज्ञ मानते हैं कि असली चुनौती नवंबर और दिसंबर की चरम सर्दियों में सामने आएगी, जब धुंध और स्मॉग की समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 1 December 2025, 8:08 AM IST