New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान के फलौदी में हुए दर्दनाक सड़क हादसे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को तलब किया। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई थी और कई गंभीर रूप से घायल हुए थे। न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ ने सड़क सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई और कहा कि “राजमार्गों पर बढ़ते हादसे देश के लिए गंभीर चेतावनी हैं।”
NHAI से दो सप्ताह में मांगी विस्तृत रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करे। रिपोर्ट में यह जानकारी देनी होगी कि राजस्थान के राष्ट्रीय राजमार्गों पर कितने ढाबे, होटल, पेट्रोल पंप और अन्य स्थायी संरचनाएं हैं, और क्या वे सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
न्याय मित्र की नियुक्ति और राज्य सरकार की जवाबदेही
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एस. नाडकर्णी को इस मामले में न्याय मित्र (Amicus Curiae) नियुक्त किया है। उन्हें पूरे मामले में तथ्यात्मक स्थिति और कानूनी सुझाव प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राजस्थान के मुख्य सचिव को पक्षकार के रूप में शामिल किया जाए ताकि वे राज्य की ओर से विस्तृत रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर सकें।
श्रीकाकुलम हादसे पर भी सुप्रीम कोर्ट की नजर
फलौदी हादसे के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में हुए हालिया सड़क हादसे का भी संज्ञान लिया। अदालत ने निर्देश दिया कि आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए ताकि दोनों राज्यों से मिली जानकारी के आधार पर एक राष्ट्रीय स्तर की नीति तैयार की जा सके।
सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारत में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। इन हादसों में बड़ी संख्या में पैदल यात्री, दोपहिया सवार और ग्रामीण परिवहन वाहन शामिल होते हैं। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने टिप्पणी की, हमारे राजमार्ग विकास के साथ-साथ सुरक्षा उपायों का समुचित क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। कई जगहों पर अवैध ढाबे और ठेले सड़क किनारे बनाए जा रहे हैं, जो ट्रैफिक के लिए खतरनाक स्थिति पैदा करते हैं।
राज्य सरकारों को दिए गए सख्त निर्देश
अदालत ने राजस्थान और आंध्र प्रदेश दोनों राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे ट्रैफिक प्रबंधन, रोड इंजीनियरिंग और इमरजेंसी मेडिकल सेवाओं की मौजूदा स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें। साथ ही, यह भी बताएं कि क्या उनके यहां सड़क हादसों के विश्लेषण और रोकथाम के लिए कोई समर्पित टास्क फोर्स गठित की गई है या नहीं।

