पंजाब में बाढ़ से तबाही: भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन ने बांधों की सुरक्षा को लेकर दिया बयान, जानें क्या कहा

पंजाब में बाढ़ की स्थिति पर भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बयान दिया है कि बांधों को हमेशा भरा रखना चाहिए और राज्य सरकारों को जल प्रबंधन की पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है। उन्होंने गाद निकालने और बांधों की सफाई पर अधिक ध्यान देने की बात की।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 6 September 2025, 10:34 AM IST
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Punjab: पंजाब में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है, और इससे राज्य के कई हिस्सों में तबाही मच चुकी है। हालांकि, इस संकट के बीच भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बांधों को हमेशा भरा रखना चाहिए और राज्यों को अपनी पुरानी सोच में बदलाव लाना होगा। उनके मुताबिक, मानसून के दौरान भारी बारिश से भाखड़ा-ब्यास बांधों में पानी का स्तर बढ़ जाता है और इसे नियंत्रित करने के लिए भारी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ता है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।

पंजाब में बाढ़ से तबाही

बांधों की सुरक्षा और पानी छोड़ने की मजबूरी

मनोज त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बांधों का जलस्तर कभी भी गिरने नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में पानी की कमी का कारण बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि बांधों से पानी छोड़ने के कारण पंजाब में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है, और राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देना चाहिए। त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकारों को यह समझना चाहिए कि पानी का सही तरीके से प्रबंधन किया जाना चाहिए। राज्यों को डर रहता है कि कहीं पानी कम न हो जाए, लेकिन यह सोच ठीक नहीं है।

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पौंग बांध और भाखड़ा की स्थिति

त्रिपाठी ने यह भी बताया कि पौंग बांध के इतिहास में इस बार सबसे अधिक पानी आया है। 2025 में 1 जुलाई से 5 सितंबर तक पौंग बांध में 11.70 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया है, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 9.52 बीसीएम था। भाखड़ा में भी 9.11 बीसीएम पानी आया है, जो 1988 के रिकॉर्ड के करीब है। उन्होंने कहा कि बांधों से पानी छोड़ने में कोई भी जल्दबाजी नहीं की जा रही है, और सभी साझेदार राज्यों की सहमति से यह काम किया जा रहा है। त्रिपाठी ने यह भी स्पष्ट किया कि अब मौसम विभाग की चेतावनियों के अनुसार बाढ़ का खतरा नहीं है, और आगे कोई बड़ी बारिश की संभावना नहीं है।

गाद निकालने की आवश्यकता

त्रिपाठी ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों को नदियों से गाद निकालने और बांधों की सफाई को बेहतर तरीके से करना चाहिए। "अगर गाद निकालने का काम समय पर किया जाता, तो शायद बाढ़ के हालात कुछ बेहतर होते," त्रिपाठी ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को नदियों की सफाई और अन्य रखरखाव कार्यों पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।

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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती

बांधों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती को लेकर त्रिपाठी ने पंजाब सरकार के विरोध का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि नंगल में CISF तैनात कर दी गई है और सभी संवेदनशील स्थानों पर CISF की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। "यह फैसला पहले ही लिया जा चुका था, और सभी भागीदार राज्यों ने इस पर सहमति जताई थी," त्रिपाठी ने कहा। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

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