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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में मंजूरी दे दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के अगले चीफ जस्टिस
नई दिल्ली: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में मंजूरी दे दी है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई, 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा साझा करते हुए कहा कि यह नियुक्ति भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत की गई है। न्यायमूर्ति गवई वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। वह 14 मई, 2025 से अपनी CJI की भूमिका ग्रहण करेंगे।
6 महीने का होगा कार्यकाल
न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा। 23 दिसंबर को 65 वर्ष की आयु होने पर न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। वह वर्तमान सीजेआई खन्ना के बाद उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
न्यायमूर्ती गवई भारत के 52 वें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त
मौजूदा सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है। विधि मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर न्यायमूर्ति गवई को भारत के 52 वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की है। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार 16 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने जस्टिस गवई के नाम की अनुशंसा केंद्र सरकार को की थी।
दूसरे दलित CJI होंगे जस्टिस गवई
जस्टिस गवई की नियुक्ति कई मायनों में खास है, क्योंकि वह देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत से अपने करियर की शरुआत की थी। उन्होंने शुरुआती वर्षों में दिवंगत बार. राजा एस. भोसले (पूर्व महाधिवक्ता और हाई कोर्ट के जस्टिस) के साथ 1987 तक कार्य किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की।
जस्टिस गवई का करियर
1990 के बाद उन्होंने मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस की, जिसमें संवैधानिक और प्रशासनिक कानून विशेष क्षेत्र रहे। वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील रहे। इसके अलावा, उन्होंने सीकोम, डीसीवीएल जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं एवं निगमों तथा विदर्भ क्षेत्र की कई नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पैरवी की।
उन्हें अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी अभिभाषक और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी अभिभाषक और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर 2003 को वे बॉम्बे हाई कोर्ट के एडिशनल जस्टिस के रूप में नियुक्त हुए और 12 नवंबर 2005 को स्थायी जस्टिस बने।