

इस साल NCERT की एक किताब को लेकर विवाद गरमाया है। मराठा इतिहास को 22 पेज दिए गए हैं, जबकि राजपूत इतिहास महज 2 पेज में समेटा गया है। इस असंतुलन को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया आई है। इतिहासकारों का मानना है कि दोनों समुदायों का योगदान बराबर महत्वपूर्ण है और किताबों में संतुलित जानकारी होनी चाहिए।
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New Delhi: इस साल राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) लगातार विवादों में घिरी हुई है। एक विवाद समाप्त भी नहीं होता कि नया मुद्दा सामने आ जाता है। ताजा विवाद NCERT की एक किताब को लेकर खड़ा हुआ है, जिसमें मराठा और राजपूत इतिहास के लिए आवंटित पन्नों की संख्या को लेकर भारी असंतोष व्याप्त है।
मराठा इतिहास को मिले 22 पेज, राजपूत इतिहास को मात्र 2 पेज
मामला कुछ यूं है कि NCERT की इस किताब में मराठा इतिहास को 22 पेज का स्थान दिया गया है, जबकि राजपूत इतिहास महज 2 पेज में समेटा गया है। इस भारी अंतर को लेकर इतिहास प्रेमी, शिक्षाविद और आम जनता में नाराजगी फैल गई है। सोशल मीडिया पर लोग इसे ‘इतिहास के साथ अन्याय’ बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
सोशल मीडिया पर गरमाई बहस
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है। कई यूजर्स ने वीडियो, पोस्ट और टिप्पणियों के जरिए NCERT की इस नीति की आलोचना की है। उनका कहना है कि राजपूतों की वीरता, बलिदान और योगदान को इतनी कम जगह देना अनुचित है। कुछ लोगों ने इसे राजपूत इतिहास का अपमान भी बताया है।
क्या है किताब में विवरण?
रिपोर्ट्स के अनुसार जिस किताब को लेकर विवाद हुआ है, उसमें मराठा साम्राज्य की स्थापना, छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन, मराठा साम्राज्य का विस्तार, प्रशासन और युद्धनीति को विस्तार से लगभग 32 पेज में समेटा गया है। जबकि राजपूत इतिहास में केवल कुछ प्रमुख युद्धों और शासकों का उल्लेख किया गया है, जो सिर्फ 2 पेज में सीमित है।
यह पहला विवाद नहीं
यह पहली बार नहीं है जब NCERT की किताबों को कंटेंट के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले भी कई बार पाठ्यक्रम में बदलाव, अध्याय हटाने या जोड़ने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि पन्नों की संख्या से अधिक जरूरी है जानकारी का संतुलन और निष्पक्षता। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद NCERT की ओर से आधिकारिक बयान का इंतजार किया जा रहा है।
इतिहास में दोनों समुदायों का योगदान
राजपूतों ने मध्यकालीन भारत में कई बड़े युद्ध लड़े और विदेशी आक्रमणकारियों का दृढ़ता से सामना किया। मेवाड़ के महाराणा प्रताप, चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जैसे वीर योद्धाओं की कहानियां आज भी प्रेरणा देती हैं। वहीं, मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज की नींव रखी और मुगल सम्राट औरंगजेब जैसे शक्तिशाली शासकों को चुनौती दी। उनकी युद्धनीति और प्रशासनिक कौशल आज भी इतिहास के अध्ययन का विषय है।