

हरिद्वार की गंगा किनारे हो रहे अवैध खनन ने अदालत को कठोर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। हाई कोर्ट ने 48 स्टोन क्रशरों को बंद करने का आदेश दिया है। वहीं लक्सर के एक क्रशर पर 23 लाख का जुर्माना भी कोर्ट की निगाह में आ गया है। असली परीक्षा 12 सितंबर को होगी।
नैनीताल हाईकोर्ट (सोर्स इंटरनेट)
Nainital: नैनीताल हाई कोर्ट की दोहरी फटकार ने गंगा के किनारे फैलते खनन जाल की परतें उधेड़ दी हैं। एक तरफ जहां अदालत ने 48 स्टोन क्रशरों को बंद करने का आदेश दिया, वहीं दूसरी तरफ एक भारी-भरकम जुर्माने पर भी अस्थायी रोक लगाई गई है।
सूत्रों के अनुसार, बुधवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मातृ सदन, हरिद्वार की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में बताया गया कि हरिद्वार के रायवाला से भोगपुर तक, और यहां तक कि कुंभ मेला क्षेत्र में भी गंगा नदी के किनारे धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि यह खनन गंगा के अस्तित्व को सीधा खतरा पहुँचा रहा है।
कोर्ट ने पाया कि पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया गया और स्टोन क्रशरों का संचालन अभी भी जारी है। इस पर गंभीर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि हरिद्वार के सभी 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद किया जाए और उनकी बिजली-पानी की आपूर्ति भी काट दी जाए। इसके साथ ही जिलाधिकारी और एसएसपी हरिद्वार को निर्देश दिया गया कि वे एक सप्ताह के भीतर कोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करें।
वहीं दूसरी ओर, एक और महत्वपूर्ण मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने हरिद्वार के लक्सर स्थित सूर्या स्टोन क्रशर पर लगे 23 लाख रुपये के जुर्माने पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह जुर्माना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) ने पर्यावरणीय क्षति के चलते लगाया था।
स्टोन क्रशर संचालक की दलील थी कि उन्हें बिना नोटिस और बिना सुनवाई के यह जुर्माना थमाया गया, जो न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका कार्य केवल क्रशिंग का है, अवैध खनन से कोई लेना-देना नहीं है। बोर्ड ने जुर्माने का आधार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की एक रिपोर्ट को बताया, जबकि एनजीटी ने खुद उस रिपोर्ट को फिर से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि PCB नियमों के तहत क्रशर की जांच कर सकता है, और अगर उल्लंघन पाया जाए तो फिर से जुर्माना लगाया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया।