

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सरकारी बंगला अब स्टेट गेस्ट हाउस बनने जा रहा है। जिस बंगले को भाजपा ने ‘शीशमहल’ कहकर घेरा। उसी पर अब 45 करोड़ रुपये के रेनोवेशन का मामला सीबीआई की जांच में है। जानिए इस बंगले के विवाद, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और अब बदलते स्वरूप की पूरी कहानी।
केजरीवाल का 'शीशमहल'
New Delhi: दिल्ली सरकार अपने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फ्लैग रोड स्थित सरकारी आवास को स्टेट गेस्ट हाउस में बदलने की तैयारी कर रही है। यह वही बंगला है जिसे भाजपा ने ‘शीशमहल’ की संज्ञा दी थी और इसके रेनोवेशन पर ₹45 करोड़ खर्च करने का आरोप लगाया गया था।
अब स्टेट गेस्ट हाउस की शक्ल में
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार 6-फ्लैग रोड स्थित इस बंगले को अब अधिकारिक गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें पार्किंग, वेटिंग हॉल, कैफेटेरिया, मीटिंग रूम जैसी सुविधाएं होंगी। यह गेस्ट हाउस आम स्टेट गेस्ट हाउस की तरह होगा, जिसमें ठहरने वाले अधिकारियों और मंत्रियों को किराया देना होगा। यही नहीं इसमें ट्रेडिशनल फूड भी मिलेगा, जिसका आनंद आम लोग भी ले सकेंगे। फिलहाल यह प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के इंतजार में है। बंगले की देखभाल के लिए पहले से ही 10 कर्मचारी तैनात हैं।
केजरीवाल 9 साल इस बंगले में रहे
अरविंद केजरीवाल 2015 से 2024 तक इस बंगले में अपने परिवार के साथ रहे। इस बंगले के रेनोवेशन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद तब उठा जब भाजपा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने कोविड काल के दौरान जनता की अनदेखी करते हुए खुद के लिए 7-स्टार जैसा बंगला तैयार करवाया।
क्या थे भाजपा के आरोप?
भाजपा ने कहा कि आम आदमी कहने वाले मुख्यमंत्री ने अपने लिए एक ‘अय्याशी का शीशमहल’ बनवाया। भाजपा ने वीडियो और बंगले के खर्चों की लिस्ट सोशल मीडिया पर साझा की। आरोपों के मुताबिक 4-5.6 करोड़ रुपये के बॉडी सेंसर और रिमोट वाले पर्दे, 64 लाख रुपये के 16 टीवी, 10-12 लाख रुपये की टॉयलेट सीट, 36 लाख रुपये के सजावटी खंभे, 1.9 करोड़ रुपये की लाइटिंग और मार्बल ग्रेनाइट, 35 लाख रुपये का जिम और स्पा इस बंगले में है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि कोविड के दौरान, जब विकास कार्य ठप थे, तब ये पैसा जनता के बजाय मुख्यमंत्री के बंगले पर खर्च किया गया।
आम आदमी पार्टी की सफाई
AAP ने भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा था कि यह बंगला 1942 में बना था और पूरी तरह जर्जर स्थिति में था। छतें टपकती थीं, कुछ हिस्से गिर भी चुके थे। पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) के ऑडिट और निरीक्षण के बाद ही मरम्मत का फैसला हुआ।
2022 में दिल्ली के गवर्नर वीके सक्सेना के निर्देश पर विजिलेंस विभाग ने रेनोवेशन खर्चों की जांच शुरू करवाई। इसके बाद भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर CBI जांच भी जारी है। केजरीवाल का यह बंगला अब महज एक सरकारी आवास नहीं रहा। यह एक प्रतीक बन गया है- राजनीति, शासन और जनता के संसाधनों की प्राथमिकताओं के टकराव का। अब देखना यह होगा कि गेस्ट हाउस में बदले इस बंगले की छवि लोगों की नजरों में कैसे बदलती है।