

उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। एक ओर हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, जिन्हें विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने अपना उम्मीदवार बनाया है, तो दूसरी ओर हैं सीपी राधाकृष्णन, एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल। अब सवाल यह है कि इन दोनों में से राजनीति में असली ताकत किसके पास है?
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और सीपी राधाकृष्णन उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार
New Delhi: उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। एक ओर हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, जिन्हें विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने अपना उम्मीदवार बनाया है, तो दूसरी ओर हैं सीपी राधाकृष्णन, एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल। अब सवाल यह है कि इन दोनों में से राजनीति में असली ताकत किसके पास है?
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं और आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं। वे दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। भाजपा संगठन में उनकी गहरी पकड़ है और लंबे समय से वे पार्टी के रणनीतिकारों में शामिल रहे हैं।
राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो राधाकृष्णन एनडीए (NDA) के साझा उम्मीदवार हैं, और एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा — दोनों सदनों में पर्याप्त संख्या बल है। ऐसे में उनका पलड़ा संसद के भीतर काफी मजबूत नजर आता है।
वहीं, जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का चयन विपक्ष ने संविधान और न्याय की आवाज के रूप में किया है। उनके पास सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का लंबा न्यायिक अनुभव है, लेकिन राजनीति में उनकी यह पहली एंट्री है। वे न तो किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े रहे हैं और न ही चुनावी राजनीति का कोई अनुभव रखते हैं।
हालांकि विपक्ष उन्हें एक “नैतिक और वैचारिक चुनौती” के तौर पर सामने ला रहा है, लेकिन संसद में विपक्ष के संख्याबल की तुलना में एनडीए अब भी मजबूत स्थिति में है।
अगर बात सिर्फ राजनीतिक ताकत और प्रभाव की हो, तो सीपी राधाकृष्णन का पक्ष भारी है। उन्हें केंद्र की सत्ता में बैठे एनडीए का समर्थन प्राप्त है। पार्टी और संगठन में वर्षों का अनुभव है। संसद में बहुमत वाले गठबंधन के उम्मीदवार हैं। इसके मुकाबले जस्टिस रेड्डी की उम्मीदवारी का जोर संवैधानिक मूल्यों, न्याय और विपक्ष की एकता के संदेश पर है, लेकिन राजनीतिक ताकत के समीकरणों में वे फिलहाल पीछे नजर आते हैं।
बी. सुदर्शन रेड्डी का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो मानते हैं कि बैकग्राउंड नहीं, बैलेंस मायने रखता है। एक छोटे से गांव अकुला मायलाराम से निकलकर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अधिवक्ता के रूप में की और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। उनकी न्यायिक यात्रा में गरीबों, वंचितों और संविधान के मूल्यों की रक्षा का एक स्पष्ट संदेश रहा है। उनके फैसले अक्सर सामाजिक न्याय की कसौटी पर खरे उतरते रहे हैं।
जहां एनडीए ने तमिलनाडु से आए अनुभवी भाजपा नेता और वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं रेड्डी का नाम एक वैकल्पिक सोच और पृष्ठभूमि का प्रतिनिधित्व करता है। यह मुकाबला अनुभव बनाम वैचारिक प्रतिबद्धता, राजनीति बनाम न्यायिक सोच और सत्ता बनाम संवैधानिक मूल्य जैसे द्वंद्व को दर्शाता है।
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