

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अब तक सरकारी आवास नहीं मिला है, जिस कारण वे छतरपुर एन्क्लेव में निजी घर में रहेंगे। उन्होंने राजस्थान से पेंशन के लिए भी आवेदन किया है। मंत्रालय ने प्रक्रिया शुरू की है।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
New Delhi: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से जुड़ी एक अहम जानकारी सामने आई है। उन्होंने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। अब आगामी 9 सितंबर को नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है, उससे पहले धनखड़ को चर्च रोड स्थित उपराष्ट्रपति आवास खाली करना होगा। हालांकि अभी तक उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति के नाते नया सरकारी आवास नहीं मिला है। ऐसे में उन्होंने दक्षिण दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव में निजी आवास में रहने का फैसला किया है।
सूत्रों के अनुसार, जगदीप धनखड़ पिछले साल अप्रैल में उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में शिफ्ट हुए थे। नियमों के तहत पूर्व उपराष्ट्रपतियों को टाइप-8 श्रेणी का बंगला आवंटित किया जाता है, जिसकी व्यवस्था आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय (संपदा निदेशालय) करता है। हालांकि अब तक धनखड़ के लिए कोई स्थायी सरकारी आवास तय नहीं किया गया है। मंत्रालय के अधिकारियों की उनसे मुलाकात जरूर हुई, लेकिन आवास को लेकर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रहेंगे निजी मकान में
धनखड़ के कार्यालय की ओर से नियमानुसार नया आवास मांगा गया है, लेकिन प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है। मंत्रालय का कहना है कि अनुरोध के बाद उन्हें कुछ विकल्प दिए जाएंगे और उनकी पसंद के अनुसार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) उस आवास में आवश्यक संशोधन कर उसे रहने योग्य बनाएगा। यह प्रक्रिया आमतौर पर तीन महीने या उससे अधिक समय लेती है।
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इस कारण धनखड़ ने अस्थायी रूप से निजी आवास में रहने का विकल्प चुना है। फिलहाल वे छतरपुर एन्क्लेव में अपने परिवार के साथ रहेंगे, जब तक उन्हें स्थायी सरकारी आवास नहीं मिल जाता।
इसके अलावा, धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा में अपने लिए पेंशन के लिए भी आवेदन किया है। गौरतलब है कि वे कभी कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान से विधायक रह चुके हैं। उपराष्ट्रपति बनने के बाद उनकी विधायक पेंशन बंद हो गई थी, लेकिन अब पूर्व विधायक के रूप में उन्हें दोबारा पेंशन मिलने की संभावना है। राजस्थान में यह प्रावधान है कि कोई व्यक्ति विधायक, सांसद या मंत्री रह चुका हो तो वह अलग-अलग पदों की पेंशन लेने का पात्र होता है।
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इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल है, क्योंकि देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद से हटने के बाद भी धनखड़ को आवास संबंधी व्यवस्था में देरी का सामना करना पड़ रहा है। इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या शीर्ष पदों पर रह चुके लोगों के लिए व्यवस्था में और अधिक स्पष्टता और गति की जरूरत है।
धनखड़ के अगले निवास को लेकर अंतिम निर्णय आने में अभी समय लग सकता है, लेकिन तब तक वे छतरपुर में ही अस्थायी रूप से रहेंगे।