

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग अब हिंसक आंदोलन में बदल गई है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 4 लोगों की मौत और 80 से अधिक घायल हो चुके हैं। आंदोलन का नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में छात्र कर रहे हैं।
लद्दाख में भड़के Gen-Z
Leh Ladakh: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन बुधवार को अचानक हिंसक रूप ले बैठा। लेह और आसपास के क्षेत्रों में छात्र, स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया। लेकिन पुलिस से टकराव के बाद यह प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 80 से अधिक घायल हुए हैं।
सोनम वांगचुक के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन में छात्र बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लिया, जिसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। इस झड़प में कम से कम 40 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि कई स्थानों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं।
लद्दाख में भड़के Gen-Z
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बीते कुछ महीनों से उन्होंने भूख हड़ताल, मौन प्रदर्शन और जनसभाओं के जरिए सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की। अब उनके समर्थन में छात्र संगठनों और युवाओं ने आंदोलन की बागडोर संभाल ली है।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि हम लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध का सम्मान करते हैं, लेकिन हाल की घटनाएं लद्दाख की परंपराओं के विपरीत हैं। आगजनी, पत्थरबाजी और बाहरी ताकतों के हवाले से लोगों को भड़काना स्वीकार्य नहीं है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
• लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
• भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण
• लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें
• सरकारी नौकरियों में स्थानीयों को प्राथमिकता
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स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार 6 अक्टूबर को दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित कर सकती है। इस बैठक में लद्दाख के प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को बुलाए जाने की संभावना है। केंद्र ने अनुच्छेद 370 हटाते समय यह कहा था कि स्थिति सामान्य होते ही लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन 4 साल बीतने के बाद भी कोई स्पष्ट नीति नहीं आई।
लेह, कारगिल और प्रमुख कस्बों में अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बंद कर दी गई हैं और संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू है। प्रशासन किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है।