

यह जानकारी हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण द्वारा सार्वजनिक की गई है, जिसमें कहा गया कि संबंधित लोगों ने स्वेच्छा से अपनी फैमिली आईडी में पत्नियों और उनके बच्चों की जानकारी दर्ज कराई है। इनमें से 2761 लोगों की दो पत्नियां, 15 लोगों की तीन पत्नियां, जबकि तीन व्यक्तियों की तीन से अधिक पत्नियां दर्ज हैं।
प्रतीकात्मक फोटो
Haryana News: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में दो भाइयों द्वारा एक ही लड़की से शादी की चर्चा के बीच हरियाणा से एक और हैरान करने वाला डाटा सामने आया है। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परिवार पहचान पत्र (Family ID) योजना के तहत एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण में यह खुलासा हुआ है कि हरियाणा में 2779 ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी एकल फैमिली आईडी में दो या दो से अधिक पत्नियां दर्ज हैं।
यह जानकारी हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण द्वारा सार्वजनिक की गई है, जिसमें कहा गया कि संबंधित लोगों ने स्वेच्छा से अपनी फैमिली आईडी में पत्नियों और उनके बच्चों की जानकारी दर्ज कराई है। इनमें से 2761 लोगों की दो पत्नियां, 15 लोगों की तीन पत्नियां, जबकि तीन व्यक्तियों की तीन से अधिक पत्नियां दर्ज हैं।
जिलेवार आंकड़ों की एक झलक
अन्य जिलों में भी आंकड़े दर्ज हैं। जैसे रोहतक (78), रेवाड़ी (80), कुरुक्षेत्र (96), अंबाला (87) आदि में तीन या उससे अधिक पत्नियों के मामले भी कुछ जिलों में सामने आए हैं।
फैमिली आईडी में दर्ज यह जानकारी कैसे जुड़ी?
हरियाणा सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सभी कल्याणकारी योजनाओं को फैमिली आईडी के माध्यम से जोड़ दिया है। इसमें हर नागरिक को अपनी पत्नी, बच्चों और अन्य आश्रितों की जानकारी दर्ज करनी होती है। इस जानकारी के बिना कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सकता।
इस प्रक्रिया के दौरान लोगों ने अपने पूरे परिवार की जानकारी स्वेच्छा से दी, जिसमें यह विवरण भी शामिल है कि उनकी एक से अधिक पत्नियां हैं। फैमिली आईडी में धर्म का कोई कॉलम नहीं है, लेकिन जाति और आय का सत्यापन अनिवार्य होता है। हालांकि, पत्नियों और बच्चों की जानकारी का औपचारिक सत्यापन नहीं किया जाता।
प्राधिकरण का पक्ष
हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला ने बताया कि, "फैमिली आईडी एक धर्मनिरपेक्ष पहचान प्रणाली है। इसमें दिया गया अधिकांश डेटा स्व-घोषित होता है। चूंकि कई सरकारी योजनाएं फैमिली आईडी से जुड़ी हैं, इसलिए नागरिक अपने परिवार की पूरी जानकारी देने को बाध्य हैं।" डॉ. खोला ने यह भी स्पष्ट किया कि इन जानकारियों को बिना किसी पूर्वग्रह के दर्ज किया गया है और यह सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं।