New Delhi: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से राहत पाने के लिए की गई क्लाउड सीडिंग (Artificial Rain / Cloud Seeding) का प्रयास असफल रहा। इस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी और सीधे तौर पर दिल्ली सरकार पर निशाना साधा।
केजरीवाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “दरअसल इस सरकार के सारे इंजन ही फेल हैं। ये सरकार पूरी तरह से फेल है।” उन्होंने एक खबर को रीशेयर करते हुए भी यही बात दोहराई। केजरीवाल के इस बयान ने दिल्ली की हवा की खराब स्थिति और क्लाउड सीडिंग की असफलता को लेकर राजनीति को और गर्मा दिया है।
क्लाउड सीडिंग फेल क्यों हुई?
दिल्ली इस समय घने प्रदूषण की चादर में है। सरकार ने कृत्रिम बारिश को अंतिम उपाय के रूप में अपनाया था, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यह समय क्लाउड सीडिंग के लिए उपयुक्त नहीं था।
यूनीवर्सिटी ऑफ रीडिंग (UK) के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंस के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. अक्षय देओरास का कहना है कि क्लाउड सीडिंग केवल उन बादलों से बारिश करवा सकती है जिनमें पर्याप्त नमी पहले से मौजूद हो। साफ आसमान में इस तकनीक का कोई असर नहीं होता।
क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया में पहले बारिश की संभावना वाले बादलों की पहचान की जाती है। इसके बाद विमान से सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे रसायन बादलों के भीतर छोड़े जाते हैं। ये रसायन जलवाष्प को संघनित करके बारिश की बूंदों का रूप देते हैं।
केजरीवाल का राजनीतिक हमला
क्लाउड सीडिंग के फेल होने के बाद केजरीवाल ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि इस सरकार के सभी इंजन फेल हैं, जिसका असर सीधे तौर पर राजधानीवासियों को हो रहा है।
AAP प्रमुख ने यह भी संकेत दिया कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा पा रही है। सोशल मीडिया पर उनके बयान को लेकर काफी चर्चा हो रही है और कई लोग इस नाकामी को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों की तकनीकी व्याख्या
डॉ. अक्षय देओरास ने बताया कि क्लाउड सीडिंग केवल सही मौसम और बादलों में ही काम करती है। यदि आसमान साफ है और पर्याप्त नमी नहीं है, तो रसायन डालने से बारिश संभव नहीं।
उन्होंने कहा कि क्लाउड सीडिंग की सफलता की दर मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। दिल्ली में इस समय बादल कम हैं और वातावरण शुष्क है, इसलिए प्रयास नाकाम रहा।
इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि क्लाउड सीडिंग से केवल आंशिक या सीमित बारिश संभव है और इसे प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं माना जा सकता।
दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति
दिल्ली में सर्दियों के आगमन के साथ ही हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। PM 2.5 और PM 10 के स्तर गंभीर सीमा के ऊपर हैं। सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए वाहनों पर अंक-व्यवस्था लागू करने, निर्माण कार्य सीमित करने और फॉगिंग तकनीक अपनाने जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन इन उपायों से हवा की गुणवत्ता पर तत्काल असर नहीं पड़ रहा। क्लाउड सीडिंग को अंतिम उपाय माना गया था, जो अब असफल साबित हुआ।

