Cyber Crime: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट मामलों पर जताई चिंता, CBI को जांच सौंपने पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि पैन इंडिया जांच के लिए सीबीआई सक्षम है और इसे मामले सौंपे जा सकते हैं। राज्यों को एफआईआर और मामलों की संख्या एक सप्ताह में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 27 October 2025, 12:56 PM IST
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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने देश में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इससे पूरे देश के नागरिक प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने संकेत दिया कि सीबीआई इस प्रकार के साइबर अपराध की जांच करने के लिए सक्षम है और इसे जांच सौंपने पर विचार किया जा सकता है।

राज्यों को नोटिस जारी

कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और उनसे डिजिटल अरेस्ट से संबंधित मामलों और एफआईआर की संख्या पर जवाब मांगा है। इसका उद्देश्य यह है कि इस गंभीर साइबर अपराध से निपटने के लिए प्रभावी और संगठित कदम उठाए जा सकें।

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पैन इंडिया जांच के लिए सीबीआई

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किया जा रहा है, बल्कि सभी राज्यों को नोटिस भेजा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पैन इंडिया स्तर पर डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई द्वारा करना उचित रहेगा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि केंद्रीय एजेंसी को इसमें गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले साइबर प्राधिकरणों से सहायता लेनी होगी।

डिजिटल अरेस्ट से नागरिक प्रभावित

कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों से पूरा देश परेशान है। विभिन्न स्थानों से रोजाना ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, और इनकी संख्या घटने का नाम नहीं ले रही। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में विस्तृत बैठक भी की है, ताकि समस्या के व्यापक प्रभाव को समझा जा सके।

सीबीआई को जांच सौंपने में कोई आपत्ति नहीं

हरियाणा राज्य के वकील ने स्पष्ट रूप से कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए, किसी केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है। उदाहरण के लिए, साइबर अपराध शाखा अंबाला में दर्ज दो एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी।

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राज्यों को समय सीमा

कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे उन एफआईआर का विवरण प्रस्तुत करें, जिनमें डिजिटल अरेस्ट और संबंधित अपराध दर्ज हैं। हरियाणा को इसे प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का उद्देश्य यह है कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों का प्रभावी और त्वरित समाधान निकाला जाए, और नागरिकों को इस प्रकार के साइबर अपराधों से सुरक्षा मिले।

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Published : 
  • 27 October 2025, 12:56 PM IST