New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने 2023 में लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अपने निरोध को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की खंडपीठ ने कहा कि अदालत इस मामले में आगे सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं है। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को पिछले वर्ष एनएसए के तहत गिरफ्तार किया था।
दायर याचिका में इन्हें बनाया गया था पक्षकार
अमृतपाल सिंह ने फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह हरीनौ हत्याकांड के सिलसिले में तीसरी बार लगाई गई NSA की कार्रवाई को चुनौती दी थी। उनकी ओर से दायर याचिका में केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, अमृतसर के डीसी, एसएसपी रूरल और असम की डिब्रूगढ़ जेल के अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया था।
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अमृतपाल के वकीलों का तर्क
अमृतपाल के वकीलों का तर्क था कि लगातार NSA लगाना उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अमृतपाल एक निर्वाचित सांसद हैं और उन्हें संसद सत्रों में हिस्सा लेने का अधिकार मिलना चाहिए, जो उनकी हिरासत के चलते संभव नहीं हो पा रहा। याचिका में यह भी कहा गया था कि सांसद के कार्यों को बाधित करना उनके निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
अमृतपाल पर वर्तमान में लागू एनएसए 9 अक्टूबर 2024 को फरीदकोट हत्याकांड में आतंकवादी अर्श डल्ला से कथित साजिश के आरोपों के बाद बढ़ाया गया था। पुलिस की SIT जांच में दोनों के बीच संपर्क सामने आने के बाद सरकार ने अमृतपाल पर तीसरी बार NSA लगा दिया। वह फिलहाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं।
2023 में हुई थी पहली गिरफ्तारी
अप्रैल 2023 में गिरफ्तार अमृतपाल सिंह को पहली बार NSA के तहत हिरासत में लिया गया था। उनके साथ 9 अन्य सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, दो साल की अवधि पूरी होने के बाद इन नौ साथियों से NSA हटा लिया गया, लेकिन अमृतपाल पर इसे तीसरी बार एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया।
सरकार का तर्क है कि अमृतपाल की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। पंजाब पुलिस के अनुसार, उनके संगठन “वारिस पंजाब दे” से जुड़े कुछ लोग उग्रवादी विचारधारा फैलाने और राज्य की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे थे।
जेल में रहते हुए लड़ा चुनाव
दिलचस्प बात यह है कि जेल में रहते हुए भी अमृतपाल सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजाब की खडूर साहिब सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। उन्होंने किसी प्रकार का प्रचार नहीं किया, फिर भी 1.79 लाख वोटों से विजय प्राप्त की। यह पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में सबसे बड़ा अंतर था।
परिवार के अनुसार, अमृतपाल स्वयं चुनाव लड़ने को लेकर उत्सुक नहीं थे, लेकिन समर्थकों और माता-पिता के आग्रह पर उन्होंने सहमति दी। चुनावी कैंपेन की जिम्मेदारी उनके पिता तरसेम सिंह ने संभाली।
अमृतपाल के समर्थकों ने बनाई थी पार्टी
चुनाव जीतने के बाद अमृतपाल समर्थकों ने “अकाली दल वारिस पंजाब दे” नाम से नई पार्टी का गठन किया, जिसमें फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सर्वजीत सिंह खालसा भी शामिल हैं। अमृतपाल को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है, हालांकि वे जेल में होने के कारण संगठन का संचालन कमेटी के माध्यम से किया जा रहा है।
पार्टी ने हाल ही में 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए अमृतपाल को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है। इतना ही नहीं, 11 नवंबर को होने वाले तरनतारन उपचुनाव में पार्टी ने हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या के आरोपी संदीप सिंह सन्नी के भाई मनदीप सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अमृतपाल की याचिका खारिज कर दी है, उनकी रिहाई की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला पंजाब की राजनीति और खालिस्तान समर्थक वर्गों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

