New Delhi: उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि उनकी जगह अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। इस विषय पर कई अटकलें और नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन सबसे प्रमुख नाम जो सामने आ रहा है, वह है केंद्रीय मंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के वरिष्ठ नेता रामनाथ ठाकुर का। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों ने इस नाम को केवल अटकलें करार दिया है और कहा है कि अगला उपराष्ट्रपति भाजपा का ही होगा।
रामनाथ ठाकुर का नाम क्यों आया सामने?
रामनाथ ठाकुर का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए उस समय चर्चा में आया जब हाल ही में उनकी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की खबरें आई हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस मुलाकात को लेकर यह अनुमान लगाया कि ठाकुर को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया जा सकता है। इस मुलाकात के बाद ये अटकलें तेज हो गई, लेकिन अब बीजेपी के सूत्रों ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि आगामी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में रामनाथ ठाकुर का नाम केवल अफवाह है और इसके पीछे कोई ठोस योजना नहीं है।
भाजपा का उम्मीदवार होने की संभावना
सूत्रों का कहना है कि अगला उपराष्ट्रपति भारतीय जनता पार्टी का ही होगा। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का यह भी कहना है कि इस पद के लिए किसी जेडीयू नेता का नाम कोई मायने नहीं रखता है। पार्टी अपनी तरफ से इस पर विचार कर रही है और अब तक जेडीयू नेतृत्व से इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि आगामी उपराष्ट्रपति के लिए भाजपा अपने उम्मीदवार का नाम जल्दी ही तय कर सकती है।
धनखड़ का इस्तीफे के बाद क्या हो रहा?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बताया जा रहा है कि उनका इस्तीफा एक विवाद के बाद आया, जिसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को लेकर सरकार के सामने गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी। इस प्रस्ताव का अचानक सदन में आना सरकार के लिए चौंकाने वाला था। इसके बाद सरकार ने इसे वापस लेने पर विचार किया और इसके चलते उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ कार्रवाई की बात भी सामने आई।
धनखड़ द्वारा विपक्षी सांसदों के प्रस्ताव का उल्लेख
विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि धनखड़ ने सदन में विपक्षी सांसदों द्वारा उठाए गए प्रस्ताव का उल्लेख किया था, जो सरकार के लिए अप्रत्याशित था। सरकार के भरोसे को ठेस पहुंचाने के बाद धनखड़ के खिलाफ कार्रवाई की बातें चलने लगी और अंत में उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

