

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाई कोर्ट में 14 नए जजों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। दो प्रस्तावों में शामिल इन वकीलों को न्यायिक क्षमता और अनुभव के आधार पर चुना गया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट
Mumbai: देश की न्यायिक प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट में 14 नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मंजूरी दे दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की अध्यक्षता में मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को हुई कॉलेजियम की बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। यह निर्णय न्यायिक प्रणाली की क्षमता और लंबित मामलों की शीघ्र सुनवाई को बढ़ावा देने के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान के अनुसार, कॉलेजियम ने 14 वकीलों के नामों को बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए दो अलग-अलग प्रस्तावों में मंजूरी दी है।
पहले प्रस्ताव में जिन 6 अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की गई है, वे हैं-
नंदेश शंकरराव देशपांडे
अमित सत्यवान जमसांडेकर
आशीष सहदेव चव्हाण
वैशाली निम्बाजीराव पाटिल-जाधव
अबासाहेब धर्मजी शिंदे
फरहान परवेज डुबाश
गौरतलब है कि एडवोकेट फरहान परवेज डुबाश वर्तमान में बॉम्बे बार एसोसिएशन के सचिव के पद पर कार्यरत हैं और उनके कार्य को लेकर न्यायिक समुदाय में अच्छी पहचान है। इन वकीलों की नियुक्ति से बॉम्बे हाई कोर्ट को अनुभवी और विविध पृष्ठभूमियों से आने वाले न्यायाधीश मिलेंगे।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
कॉलेजियम द्वारा पास किए गए दूसरे प्रस्ताव में 8 अन्य वकीलों के नामों को मंजूरी दी गई है-
सिद्धेश्वर सुंदरराव थोम्ब्रे
मेहरोज अशरफ खान पठान
रंजीतसिंह राजा भोंसले
संदेश दादासाहेब पाटिल
श्रीराम विनायक शिरसाट
हितेन शामराव वेनेगावकर
रजनीश रत्नाकर व्यास
राज दामोदर वाकोडे
इन सभी नामों को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा गहन विचार-विमर्श और उपयुक्त पृष्ठभूमि जांच (background verification) के बाद चुना गया है। सभी उम्मीदवार अपने क्षेत्र में वरिष्ठता, पेशेवर क्षमता और न्यायिक योग्यता के लिए जाने जाते हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट देश के सबसे व्यस्ततम हाईकोर्ट्स में से एक है, जहां हजारों मामले लंबित हैं। ऐसे में इन 14 नए जजों की नियुक्ति से न केवल न्यायिक कामकाज में तेजी आएगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी बनाने में भी मदद मिलेगी। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि कॉलेजियम प्रणाली, जिसके संचालन को लेकर अकसर बहस होती रही है, न्यायपालिका में योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए पूरी तरह सक्रिय है।