

मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के छतगांव गांव में स्थित ताखा जी महाराज (तक्षक नाग) का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था, चमत्कार और दिव्यता का प्रतीक है। यह करीब 1000 साल पुराना मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां होने वाली रहस्यमयी घटनाएं भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
छतगांव गांव में स्थित ताखा जी महाराज का मंदिर
Madhya Pradesh: छतगांव गांव से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित ताखा जी महाराज मंदिर (तक्षक नाग मंदिर) प्राचीनता और आस्था का ऐसा संगम है, जो हर श्रद्धालु को खींच लाता है। मान्यता है कि यह स्थान हजार वर्षों से नागदेवता की उपस्थिति का प्रतीक है और आज भी यहां भक्तों को उनके दर्शन अनुभव होते हैं।
एक जीवित चमत्कार
मंदिर परिसर में स्थित विशाल बरगद का पेड़, लगभग 2 बीघा भूमि में फैला हुआ है। इसकी जटाएं मंदिर की छत और दीवारों तक पहुंच चुकी हैं। पुजारी बताते हैं कि इस पेड़ की प्रत्येक जटा में दिव्य ऊर्जा समाहित है। ऐसा लगता है जैसे नाग देवता स्वयं इस पेड़ के रूप में विराजमान हों।
सूखी लकड़ी की रहस्यमयी कथा
मंदिर से जुड़ी एक बेहद चमत्कारी मान्यता यह भी है कि यहां से सूखी लकड़ी उठाना वर्जित है। मान्यता के अनुसार, एक व्यक्ति ने एक बार मंदिर से लकड़ी उठाई थी, तो वह तुरंत अंधा हो गया। लेकिन जैसे ही उसने लकड़ी वापस रखी, उसकी दृष्टि लौट आई। इसके बाद से गांववाले मंदिर की पवित्रता को लेकर अत्यंत सतर्क हो गए हैं।
ग्रामीणों के अनुभव
गांव के निवासी अरविंद राजपूत बताते हैं कि उन्होंने कई बार ताखा जी महाराज को सफेद नाग के रूप में देखा है। वहीं अर्जुन सिंह नामक ग्रामीण कहते हैं कि गांव की एक गाय जब भी बरगद के पास जाती थी, तो अपने आप दूध बहने लगता था। इस अद्भुत घटना के बाद ही ग्रामीणों ने इस स्थान को दैवीय मानकर यहां पूजा शुरू की थी।
धार्मिक आयोजन और भक्ति का उत्सव
हर साल गंगा दशमी पर मंदिर में सात दिवसीय यज्ञ आयोजित किया जाता है। इस दौरान आसपास के गांवों और दूर-दराज के स्थानों से हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में भंडारा होता है, और नागपंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। भक्तों का मानना है कि ताखा जी महाराज सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण
मंदिर का संपूर्ण वातावरण अत्यंत शांत, पवित्र और ऊर्जा से भरपूर है। यहां आते ही मन को एक विशेष आध्यात्मिक शांति मिलती है। चहचहाते पक्षी, झूमती बरगद की जटाएं और मंदिर परिसर की ऊर्जा व्यक्ति को भक्ति और ध्यान की ओर आकर्षित करती है।
आस्था और विज्ञान का संगम?
हालांकि मंदिर से जुड़े चमत्कार आस्था पर आधारित हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के अनुभव इसे खास बनाते हैं। कुछ लोग इसे दिव्यता का प्रतीक मानते हैं, वहीं कुछ इसे सांस्कृतिक परंपरा और प्रकृति से जुड़ी गहराई का सुंदर मिश्रण कहते हैं।