

बाजार में मिलने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स का आकर्षण अब सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रह गया है। कई माता-पिता फैशन और ट्रेंड के चलते परफ्यूम, नेल पॉलिश और हिना टैटू जैसे सौंदर्य उत्पादों का इस्तेमाल छोटे बच्चों पर भी करने लगे हैं। यह दिखने में मासूम आदत, बच्चों की कोमल त्वचा और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। यह रिपोर्ट बताती है कि ये उत्पाद बच्चों के लिए कैसे खतरनाक हो सकते हैं और माता-पिता को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स- गूगल)
New Delhi: बचपन की त्वचा बेहद नाजुक और पतली होती है। नवजात शिशुओं की त्वचा में नमी बनाए रखने वाला प्राकृतिक तेल सिबम भी बहुत कम मात्रा में बनता है। ऐसे में बाहरी रसायनों के संपर्क में आने पर त्वचा तुरंत प्रतिक्रिया करती है। जिससे ड्रायनेस, रैशेज, एलर्जी, या स्किन इंफेक्शन तक हो सकते हैं। बड़ों के लिए बनाए गए प्रोडक्ट्स बच्चों की स्किन के लिए बहुत कठोर होते हैं। ऐसे में उनका इस्तेमाल करने से त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली प्रभावित हो सकती है।
नेल पॉलिश में छिपे ज़हर
बाजार में बिकने वाली नेल पॉलिश में फॉर्मल्डिहाइड, टोलूइन और फथालेट्स जैसे रसायन मौजूद होते हैं। ये रसायन त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं। प्रजनन प्रणाली पर दीर्घकालिक असर डाल सकते हैं।
परफ्यूम और बॉडी स्प्रे का दुष्प्रभाव
परफ्यूम में मौजूद अल्कोहल और वोलेटाइल कंपाउंड्स बच्चों की त्वचा को सुखा सकते हैं, जिससे जलन, खुजली, या स्किन रेडनेस हो सकती है। साथ ही ये तत्व श्वसन तंत्र को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
हिना टैटू और एलर्जी का बढ़ता खतरा
त्योहारों या छुट्टियों के दौरान छोटे बच्चों के हाथों पर ब्लैक हिना टैटू बनवाने का चलन बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस हिना में पीपीडी (Paraphenylenediamine) नामक खतरनाक केमिकल हो सकता है, जो त्वचा पर जलन, एलर्जी या पिगमेंटेशन का कारण बन सकता है। सीवियर रिएक्शन जैसे फफोले और घाव पैदा कर सकता है। आगे चलकर हेयर डाई या स्किन प्रोडक्ट्स से एलर्जी की प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है
नेचुरल या ऑर्गेनिक का टैग भी धोखा दे सकता है। माता-पिता अक्सर "नेचुरल" या "ऑर्गेनिक" टैग देखकर प्रोडक्ट्स को सुरक्षित मान लेते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं कि ऐसे उत्पाद पूरी तरह से सुरक्षित हों।
• उदाहरण के लिए, प्रोपोलिस (Bee Wax का एक तत्व) को नेचुरल कहा जाता है लेकिन यह बच्चों में एलर्जी पैदा कर सकता है
• एक रिसर्च में पाया गया कि 90% से ज्यादा नेचुरल टैग वाले प्रोडक्ट्स में एलर्जन मौजूद होते हैं
इसलिए सिर्फ लेबल पर भरोसा करना सही नहीं है, बल्कि संवेदनशीलता जांच और डॉक्टर से परामर्श करना ज्यादा जरूरी है।
क्यों बचपन में कॉस्मेटिक उत्पादों से दूरी जरूरी है
बचपन में शरीर का इम्यून सिस्टम और स्किन माइक्रोबायोम (त्वचा की सुरक्षा परत) पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। ऐसे में केमिकल्स शरीर के अंदर गहराई तक असर डाल सकते हैं। स्किन इंफेक्शन, रैशेज, या सांस की बीमारी पैदा हो सकती है। बार-बार के संपर्क से आगे चलकर एलर्जी का जोखिम कई गुना बढ़ सकता है।
बचाव ही है सबसे बेहतर इलाज
कम से कम कॉस्मेटिक इस्तेमाल करें
बच्चों पर सुगंधित या रासायनिक उत्पादों का प्रयोग न करें। आवश्यक हो तो फ्रेगरेंस-फ्री, हाइपोएलर्जेनिक और पेडियाट्रिक-टेस्टेड प्रोडक्ट्स का ही चयन करें।
डॉक्टर से सलाह लें
यदि कोई स्किन रिएक्शन या सांस संबंधी समस्या दिखे, तो तुरंत डर्मेटोलॉजिस्ट या बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
घर में जागरूकता फैलाएं
परिवार और स्कूल में बच्चों की त्वचा के प्रति संवेदनशीलता को लेकर जागरूकता जरूरी है, ताकि उन्हें शुरुआत से ही सही देखभाल मिल सके।
No related posts found.