

भारत में 16 अगस्त को जन्माष्टमी बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी रहने वाले भारतीय समुदाय इसे अपने सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के लिए धूमधाम से मनाते हैं। फिजी से लेकर पेरिस तक, बांग्लादेश से नेपाल तक जन्माष्टमी के रंग विदेशी धरती पर भी मनभावने ढंग से देखे जा सकते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण (Img: Pinterest)
New Delhi: भारत में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला जन्माष्टमी पर्व 16 अगस्त को पूरे देश में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। लेकिन यह त्योहार केवल भारत तक सीमित नहीं है, विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी इसे अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के लिए बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। फिजी, बांग्लादेश, नेपाल, पेरिस और सिंगापुर जैसे देशों में जन्माष्टमी को विशेष रूप से मनाने की परंपरा देखने को मिलती है।
फिजी में जन्माष्टमी
फिजी में जन्माष्टमी को ‘कृष्णा अष्टमी’ के नाम से जाना जाता है और यह त्यौहार पूरे आठ दिनों तक चलता है। यहां के भारतीय समुदाय मंदिरों और घरों में भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हैं। आठ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में कृष्ण के जीवन की कहानियां सुनाई जाती हैं, जो फिजी में भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करती हैं।
बांग्लादेश के मंदिरों में जन्माष्टमी धूमधाम
बांग्लादेश में खासतौर पर ढाका और अन्य बड़े शहरों के मंदिरों में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। यहां भगवान कृष्ण के जीवन पर आधारित झांकियां निकाली जाती हैं और शोभायात्राएं आयोजित होती हैं। ढाकेश्वरी मंदिर में विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिनमें हजारों भक्त शामिल होकर इस पावन पर्व का आनंद लेते हैं।
नेपाल में जन्माष्टमी पर दिनभर उपवास
नेपाल में जन्माष्टमी पर भक्तगण दिनभर उपवास रखते हैं और आधी रात को भगवान कृष्ण के जन्म के साथ ही भजन-कीर्तन शुरू कर देते हैं। काठमांडू के कृष्ण मंदिर में इस दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। मंदिरों को फूलों और लाइट से सजाया जाता है, और दूध-दही का भोग भी अर्पित किया जाता है, जो यहां की खास परंपरा है।
पेरिस में जन्माष्टमी
पेरिस में जन्माष्टमी का जश्न इस्कॉन मंदिर में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भक्त भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं, मूर्तियों का स्नान करवाया जाता है और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। जन्माष्टमी के अवसर पर केक काटकर भी जश्न मनाया जाता है, जो इस त्योहार को और भी खास बनाता है।
सिंगापुर में जन्माष्टमी
सिंगापुर में भी जन्माष्टमी की रौनक देखने लायक होती है। बाजारों में कृष्ण की मूर्तियां, बांसुरी, मोरपंख और झूले सजाए जाते हैं। श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में भजन-कीर्तन के कार्यक्रम होते हैं और भक्तगण भक्ति के रंग में डूब जाते हैं। यहां विदेशी नागरिक भी इस उत्सव में भाग लेकर भारतीय संस्कृति का अनुभव करते हैं।