

भूत-प्रेतों में विश्वास प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता से जुड़ा रहा है। भारत सहित दुनिया की कई संस्कृतियों में पेड़ों पर भूत-प्रेत के वास की मान्यता प्रचलित है। जानें पीपल, बरगद, इमली और कपास के पीछे की मान्यताएं और वैज्ञानिक कारण।
बरगद के वृक्ष की अलौकिक धारणाएं (Img: Google)
New Delhi: भूत-प्रेतों में विश्वास प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता से जुड़ा रहा है। हालाँकि, यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। भारत जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक देश में, इस विषय पर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं। खासकर, कुछ खास पेड़ों के बारे में मान्यता है कि उनमें अलौकिक शक्तियों का वास होता है। एक ओर जहाँ इन्हें पूजनीय माना जाता है, वहीं दूसरी ओर, इनमें भूत-प्रेतों का वास भी माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि इसमें कितना सच है और कितना झूठ।
पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है। हिंदू धर्म में इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों का वासस्थान माना जाता है। इसकी पूजा और परिक्रमा करना शुभ माना जाता है और यही कारण है कि इसे बोधि वृक्ष का दर्जा भी दिया गया। हालांकि लोक मान्यता यह भी कहती है कि पीपल वृक्ष में पितरों का वास होता है और रात के समय इसके पास भूत-प्रेत सक्रिय रहते हैं। इस कारण लोग रात में पीपल के नीचे रुकने से बचते हैं।
पीपल का महत्व (Img: Google)
बरगद का वृक्ष भी हिंदू संस्कृति में पवित्र माना गया है। वट सावित्री व्रत और कई धार्मिक अवसरों पर इसकी पूजा की जाती है। लेकिन एक प्रचलित विश्वास यह भी है कि रात में बरगद के पास नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इसमें भूत-प्रेतों का वास होता है। हालांकि वास्तविकता यह हो सकती है कि बरगद प्राय: सुनसान और निर्जन क्षेत्रों में मिलता है, जहां अंधेरे में जाना स्वाभाविक रूप से डरावना लगता है। इसी वजह से इसे अलौकिक शक्तियों से जोड़ा गया होगा।
इमली का पेड़ स्वादिष्ट फल देता है, लेकिन इसे लेकर कई अंधविश्वास भी हैं। बुजुर्ग मानते हैं कि इमली में भूतों का निवास होता है, इसलिए इसे घर के आंगन में नहीं लगाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार भी, घर में इमली का पेड़ होने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
कपास के पेड़ से रुई प्राप्त होती है, लेकिन एक मान्यता यह भी है कि जब कपास का वृक्ष पुराना हो जाता है, तो इसमें आत्माओं का वास हो जाता है। रात के समय इसके पास अकेले रुकने से बचने की सलाह दी जाती है।
सांस्कृतिक रूप से सच यह है कि पीपल, बरगद, इमली जैसे पेड़ों का धार्मिक और सामाजिक महत्व बहुत बड़ा है। प्राचीन समाज ने लोगों को रात में इन पेड़ों से दूर रखने के लिए कहानियां गढ़ीं ताकि वे सुरक्षित रहें, क्योंकि रात को वहां जंगली जानवर, कीड़े-मकोड़े या सांप मिल सकते थे।
वैज्ञानिक रूप से यह भी सच है कि ये पेड़ रात के समय कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ या घबराहट हो सकती है। इसे लोग भूत-प्रेत का असर समझ लेते थे।
यह झूठ है कि वास्तव में इन पेड़ों में भूत-प्रेत रहते हैं। इसका कोई वैज्ञानिक या प्रामाणिक प्रमाण आज तक नहीं मिला। यह भी भ्रम है कि किसी पेड़ के पास रात बिताने से आत्माएं परेशान करती हैं। असल में, डर और माहौल ही इंसान के मन में भ्रम पैदा करता है।
इन मान्यताओं के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हो सकते हैं। रात में पेड़ ऑक्सीजन छोड़ने के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जित करते हैं। पीपल, बरगद और इमली जैसे विशाल वृक्ष अधिक मात्रा में CO₂ छोड़ते हैं। ऐसे में रात के समय इनके पास बैठने से घबराहट और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। प्राचीन काल में इस अनुभव को भूत-प्रेत का असर मान लिया गया होगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, लोककथाओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित सामान्य जानकारी है। डाइनामाइट न्यूज़ इस लेख में दी गई जानकारी को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है। भूत-प्रेत या अलौकिक शक्तियों से संबंधित धारणाओं का कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।