

झारखंड की राजनीति में सोमवार को एक छोटा सा वीडियो खूब चर्चित हो गया। जब वीडियो में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बेटे कृष अंसारी रिम्स अस्पताल में दिखे। सोशल मीडिया पर यह नजर आना कई सवाल खड़े कर गया कि क्या ये दौरा मानवीय था या सत्ता प्रदर्शन?
वायरल वीडियो से भड़की राजनीति
Ranchi: झारखंड की राजनीति में सोमवार को एक छोटा सा वीडियो खूब चर्चित हो गया। जब वीडियो में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बेटे कृष अंसारी रिम्स अस्पताल में दिखे। सोशल मीडिया पर यह नजर आना कई सवाल खड़े कर गया कि क्या ये दौरा मानवीय था या सत्ता प्रदर्शन?
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, भाजपा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने वीडियो को सियासत का हिस्सा बताते हुए टिप्पणी की, "क्या मंत्री जी ने बेटे को भी पावर दे दिया?" शाही ने कृष के नाम पर व्यंग्य करते हुए कहा, "उनका नाम कृष नहीं, कृष्ण होता तो जय श्रीराम का नारा भी लग जाता।" उनका दावा था कि हॉस्पिटल विज़िट राजनीति का हिस्सा दिख रहा है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. इरफान अंसारी ने बताया कि कृष किसी प्रशासनिक दौरे पर नहीं गए थे। उन्होंने कहा, “कृष रिम्स उन छात्रों का पिता देखने गए थे, जो शिक्षकों से संबंधित थे और परिवार की मजबूरी थी।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बिल्कुल एक मानवतावादी कदम था, न कि कोई ‘नेतागिरी’!
मंत्री ने भाजपा टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए कहा, “मेरा बेटा न किसान को कुचलता है, न सत्ता के नशे में इंसानियत भूलता है।” उनके इस बयान से स्पष्ट संदेश गया कि कृष पर लगाए आरोप निराधार हैं।
वीडियो के वायरल होने पर सोशल मीडिया पर दोनों ओर से प्रतिक्रियाएं आईं: कांग्रेस समर्थकों ने इसे इंसानियत का उदाहरण कहा। भाजपा समर्थक इसे सत्ता का इस्तेमाल माना। राजनीति और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बहस तेज हो चली है, मीम और कटाक्ष बाढ़ की तरह आ गए।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला चुनावी गर्मी में और भड़क सकता है। विपक्ष इसे सत्ता का गलत इस्तेमाल मान रहा है। सरकार इसे राजनीतिक ओछापन बता रही है। राजनीतिक दृष्टि से, छोटे मामलो पर बड़ी राजनीतिक लड़ाइयां छिड़ सकती हैं। आने वाले समय में यह रेखा चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती है। कृष अंसारी का रिम्स विज़िट मानवता की भावना से प्रेरित था, लेकिन राजनीति ने इसे सत्ता प्रदर्शन और आलोचना का मुद्दा बना दिया। सोशल मीडिया के ज़रिए यह घटना राजनीति तक पहुंच गई है। साधारण इंसानी कदम अब राजनीतिक रंग में रंग गया है जिसका असर भविष्य में चुनावी मूड और माहौल पर पड़ेगा।