

जम्मू-कश्मीर में 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लाल किले से पीएम मोदी के भाषण में पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने पर गहरा निराशा जताई। किश्तवाड़ में बादल फटने की आपदा पर भी उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए।
सीएम उमर अब्दुल्ला, पीएम मोदी (Img: Google)
New Delhi: जम्मू-कश्मीर में 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों ने इस उत्सव पर छाया भी डाला। श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने झंडा फहराकर समारोह की शुरुआत की। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के इस पर्व पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी, लेकिन केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर उन्होंने अपनी गहरी निराशा और सवाल भी उठाए।
पीएम मोदी के भाषण से नहीं मिली उम्मीद
उमर अब्दुल्ला ने लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 103 मिनट के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने की उम्मीद थी, लेकिन उस संदर्भ में कोई घोषणा नहीं हुई। उन्होंने कहा, 'पिछली बार जब मैं यहां था, तब मैं एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारा अपना संविधान था, हमारी अपनी पहचान थी। आज हम अपनी पहचान की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन इसे लेकर देरी क्यों हो रही है, मैं समझ नहीं पा रहा हूं।'
सीएम ने केंद्र सरकार से सवाल किया, 'जम्मू-कश्मीर को बाकी राज्यों के बराबर करने का वादा किया गया था, क्या हम आज बराबर हैं? अगर नहीं हैं तो हमने क्या खता की है?' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उम्मीद तो अभी बनी हुई है, लेकिन उम्मीद की रोशनी में कमी जरूर आई है।
किश्तवाड़ आपदा पर चिंता और सवाल
स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले किश्तवाड़ में बादल फटने की भयंकर आपदा ने कई लोगों की जान ले ली और बड़ी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा पर भी सीएम उमर अब्दुल्ला ने गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि इस आपदा में लगभग 60 लोगों की मौत हो गई है और 100 से अधिक घायल हैं। लापता लोगों की संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'घटना की पूरी जांच होगी और लापरवाही कहां हुई, इसकी सख्त समीक्षा होगी। मौसम के पहले से कई अलर्ट भी मिल चुके थे, फिर भी यह हादसा कैसे हुआ, इसका जवाब देना जरूरी है।'
राजनीतिक और सामाजिक दबाव के बीच जश्न
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक माहौल में स्वतंत्रता दिवस का जश्न कुछ मायनों में जटिल रहा। जहां एक तरफ राज्य के लोग आज़ादी के जश्न में शामिल हुए, वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक और राजनीतिक असंतोष की आवाज भी सामने आई। उमर अब्दुल्ला का बयान केंद्र और राज्य के बीच बढ़ते फासले को दर्शाता है।