

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। काबुल पर पाकिस्तानी हमले के बाद अब अफगानिस्तान ने पलटवार किया है। नंगरहार और कुनार प्रांत में डुरंड लाइन के पास हुई झड़प में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। अफगान बलों ने कई चौकियों पर कब्जा भी कर लिया।
अफगान सेना का पाकिस्तान पर कड़ा वार
Islamabad: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद और बढ़ते तनाव ने हालात को और गंभीर बना दिया है। गुरुवार को पाकिस्तान ने काबुल पर हवाई हमला किया था, जिसके जवाब में अब अफगानिस्तान ने शनिवार देर रात पाकिस्तान पर पलटवार किया। अफगान मीडिया के मुताबिक नंगरहार और कुनार प्रांतों में डुरंड लाइन के पास हुई झड़प में 12 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं।
अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात की सेनाओं ने पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर जवाबी कार्रवाई की। सूत्रों के अनुसार इस झड़प में अफगान बलों ने पाकिस्तान का एक मिलिट्री टैंक भी कब्जे में ले लिया है। बताया जा रहा है कि तालिबान ने हेलमंद प्रांत के दक्षिणी हिस्से में पाकिस्तान की दो सीमा चौकियों पर नियंत्रण कर लिया है।
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कंधार प्रांत के मैवंद जिले में पांच पाकिस्तानी सैनिकों ने अफगान बलों के सामने आत्मसमर्पण किया। वरिष्ठ तालिबान अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा अफगान क्षेत्र पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में की गई है। अफगानिस्तान की ओर से कहा गया कि इस्लामाबाद ने उनकी संप्रभुता का उल्लंघन किया है।
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पाकिस्तानी अधिकारियों ने कई सीमा क्षेत्रों में झड़पों की पुष्टि की है और कहा कि उन्होंने भी कड़ी जवाबी कार्रवाई की। एक वरिष्ठ पाक अधिकारी ने ‘द गार्जियन’ से कहा कि "तालिबान बलों ने कई सीमा चौकियों पर फायरिंग शुरू की थी, जिसके जवाब में हमने कार्रवाई की।" हालांकि पाकिस्तान ने अब तक अपने हवाई हमलों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है। टीटीपी पर 2021 से अब तक सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या का आरोप है। माना जाता है कि टीटीपी के लड़ाके अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लेते हैं और तालिबान से उनका वैचारिक संबंध है।
दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इस समय भारत के दौरे पर हैं। यह 2021 में तालिबान की सत्ता संभालने के बाद उनकी पहली भारत यात्रा है। 9 से 14 अक्टूबर तक चलने वाले इस दौरे के दौरान भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते मजबूत होते दिख रहे हैं, जिससे पाकिस्तान असहज हो गया है। विश्लेषकों का मानना है कि इसी राजनीतिक दबाव के बीच पाकिस्तान ने हमला किया, जिसके बाद अफगानिस्तान ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया।