

अमेरिका की एक संघीय अपील अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) को हरी झंडी दे दी।
डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: अमेरिका की एक संघीय अपील अदालत ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) को लागू रहने दिया। इस फैसले के साथ ही भारत, चीन और यूरोपीय संघ समेत कई प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर लगाए गए टैरिफ फिलहाल जारी रहेंगे। ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे उस समय अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में काफी विवादास्पद कदम माना गया था।
निचली अदालत के फैसले को पलटा
इससे पहले एक निचली अदालत ने ट्रंप के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी थी और टिप्पणी की थी कि उन्होंने अपनी राष्ट्रपति शक्तियों का अनुचित तरीके से इस्तेमाल किया है। लेकिन अपील अदालत ने रोक हटाने का फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और जांच जारी है। अदालत फिलहाल यह तय कर रही है कि ट्रंप द्वारा इस्तेमाल की गई आपातकालीन आर्थिक शक्तियां वास्तव में कानूनी रूप से वैध हैं या नहीं।
अदालत में ट्रंप प्रशासन की दलीलें
ट्रंप प्रशासन ने अदालत में दलील दी कि इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी हितों की रक्षा करना है और अगर इन्हें रोका गया तो इससे अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति कमजोर हो सकती है। प्रशासन ने कहा कि राष्ट्रपति के पास राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठाने का अधिकार है। न्यायालय का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब ट्रंप द्वारा घोषित 90 दिन की अस्थायी रोक अवधि समाप्त होने में अभी एक महीना बाकी है।
भारत, चीन और वियतनाम पर टैरिफ
ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ में भारत पर 26 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत और वियतनाम पर 46 प्रतिशत शुल्क शामिल थे। हालांकि, बाद में ट्रंप ने इनमें बदलाव करते हुए चीन पर और टैरिफ लगा दिए। इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी बाजार में घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना और चीन समेत अन्य देशों की "अनुचित व्यापार नीतियों" पर अंकुश लगाना बताया गया।
व्यापार समझौते के प्रयास तेज
इन आयात शुल्कों के जवाब में भारत, चीन और यूरोपीय संघ समेत कई देश अमेरिका के साथ नए व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ नीति के जरिए ट्रंप अमेरिका की बातचीत की स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं, ताकि वह बेहतर व्यापार शर्तें तय कर सके।