

ब्रिटिश सेना और रॉयल नेवी यूनाइटेड किंगडम, साइप्रस और जिब्राल्टर में 50 हाई-टेक बम डिफ्यूज रोबोट तैनात कर रही है। L3Harris T4 रोबोट ऑपरेटर और आसपास के लोगों को पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगे। ये रोबोट उन्नत तकनीक से लैस होकर सीढ़ियां चढ़ने और कठिन इलाकों में काम करने में सक्षम हैं।
बम डिफ्यूज रोबोट
London: अब बम डिफ्यूज करने का काम भी हाई-टेक रोबोट करेंगे। ब्रिटिश आर्मी और रॉयल नेवी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए यूनाइटेड किंगडम, साइप्रस और जिब्राल्टर में 50 अत्याधुनिक रोबोट तैनात करने का फैसला किया है। ये रोबोट बम डिफ्यूज करने के साथ-साथ खतरनाक इलाकों में ऑपरेटर की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इन रोबोट्स को L3Harris T4 मल्टी-मिशन बॉम्ब डिस्पोजल रोबोट्स कहा जा रहा है, जिन्हें दुनिया का सबसे सक्षम बम निरस्त्रीकरण उपकरण बताया जा रहा है।
इस प्रोग्राम में कुल 50 रोबोट तैनात किए जाएंगे, जिनकी कुल लागत लगभग 43 मिलियन डॉलर है। ये रोबोट मीडियम अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल्स (UGVs) हैं और एडवांस्ड कंट्रोल सिस्टम, हाई-डेफिनिशन कैमरे तथा हेप्टिक फीडबैक जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस हैं। हेप्टिक फीडबैक की वजह से ऑपरेटर रोबोट की भुजाओं से संपर्क में आने वाली वस्तुओं को महसूस कर सकता है, जिससे इन्हें नियंत्रित करना आसान हो जाता है।
बम डिफ्यूज करने वाले रोबोट
T4 रोबोट को खासतौर पर ऐसे क्षेत्रों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है जहाँ जगह कम होती है। इसका वजन लगभग 100 किलो है और यह तंग गलियों में जाकर सीढ़ियां चढ़ने की क्षमता रखता है। इससे पहले सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे T7 मॉडल की तुलना में यह अधिक कॉम्पैक्ट और सुविधाजनक है। ऑपरेटर इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है।
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ये रोबोट सात घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं और 8 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से चल सकते हैं। इनके प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेस का कोई असर नहीं होता, जिससे ये रेडियो सिग्नल या अन्य बाधाओं के बावजूद सही तरीके से कार्य करते हैं। ये माइनस 20 डिग्री से लेकर 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी अपना काम करते रहते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन रोबोटों में T7 मॉडल वाली सभी खूबियां मौजूद हैं, साथ ही ये छोटी जगहों में भी बम डिफ्यूज कर ऑपरेटर को खतरे से बचाते हैं।
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इस प्रोग्राम का सबसे बड़ा उद्देश्य ऑपरेटर और आसपास मौजूद लोगों की सुरक्षा है। रोबोट की तकनीक से ऑपरेटर को खतरे से दूर रखते हुए खतरनाक इलाकों में बम डिफ्यूज करना संभव होगा। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में ऐसी तकनीकों से सैन्य अभियानों को और अधिक सुरक्षित और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।