अमेरिका की नाराजगी झेलेगा भारत? रूस ने दिए वो हथियार जो बदल सकते हैं एशिया की ताकत

रूस ने भारत को S-500 एयर डिफेंस सिस्टम जैसे अत्याधुनिक हथियारों की पेशकश की है। भारत को इनकी जरूरत तो है, लेकिन अमेरिका का दबाव और रणनीतिक विविधता इसमें बाधा बन रहे हैं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 18 August 2025, 10:14 AM IST
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Moscow: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान रूस से खरीदे गए हथियारों ने अपनी ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन किया। खासकर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने, जिसने 250 किमी दूर उड़ रहे पाकिस्तानी अवाक्स विमान को निशाना बनाकर गिरा दिया।

इसके अलावा S-400 के रडार सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन, मिसाइल और लड़ाकू विमानों की सटीक लोकेशन प्रदान की, जिससे भारतीय वायुसेना को महत्वपूर्ण बढ़त मिली।

रूस की नई पेशकश: क्या हैं हथियार?
भारत की सैन्य जरूरतों को देखते हुए रूस ने चार बड़े हथियारों की पेशकश की है:
1. Sukhoi Su-57 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान
2. Sukhoi Su-35 बहुउद्देशीय सुपरमेनोएवर फाइटर
3. R-37 मिसाइल हवा से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल
4. S-500 एयर डिफेंस सिस्टम अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइल रोधी प्रणाली
ये सभी हथियार तकनीकी रूप से उन्नत हैं और भारत की वायु सुरक्षा को नई ऊंचाई दे सकते हैं।

भारत की दुविधा: दबाव या रणनीति?
हालांकि भारत को इन हथियारों की जरूरत है, लेकिन अभी तक कोई पक्की डील नहीं हुई है। इसके पीछे दो बड़े कारण माने जा रहे हैं:
अमेरिका का दबाव: भारत की अमेरिका से भी रणनीतिक साझेदारी है और रूस से नए सौदे अमेरिका को नाराज़ कर सकते हैं।
रणनीतिक विविधता: भारत अब एक ही देश पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता। इसलिए फ्रांस, अमेरिका और इजरायल जैसे देशों से भी हथियार खरीद रहा है।

भविष्य की दिशा: संतुलन जरूरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस भारत का दशकों पुराना रक्षा सहयोगी रहा है, लेकिन बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत को अब बहुस्तरीय रणनीति अपनानी होगी। रूस के आधुनिक हथियार भारत के लिए जरूरी हैं, लेकिन हर सौदा अब कूटनीतिक सोच और वैश्विक संतुलन के तहत ही तय होगा।

रूस की पेशकश से पाकिस्तान परेशान, अमेरिका सतर्क
रूस की यह पेशकश भारत की सैन्य ताकत को अगले स्तर पर ले जा सकती है। S-500 सिस्टम, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी मार गिराने में सक्षम है, अगर भारत को मिलता है, तो पाकिस्तान की न केवल हवाई रणनीति चरमरा जाएगी, बल्कि चीन के साथ भारत की सीमा सुरक्षा भी और मजबूत हो जाएगी।

लेकिन इस डील में एक रोड़ा है और वह है अमेरिका का दबाव। अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी रक्षा खरीद में रूस पर निर्भर न रहे, खासकर ऐसे समय में जब रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है और अमेरिका-रूस संबंधों में तनाव चरम पर है।

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